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सीएम साहब! ठोस नीति बनाकर बजट मिले तो हर सेक्टर में हो विकास, 29 साल में कितना बदला गाजियाबाद

संवाददाता

गाजियाबाद। गाजियाबाद को जिला बने हुए 29 साल हो गए हैं। इन 29 सालों की विकास यात्रा में जिले ने कानून व्यवस्था, कनेक्टिविटी, शिक्षा, स्वास्थ्य सहित कई सेक्टर में चुनौतियों का सामना किया। अब शासन की मंशा है कि देश की आजादी के सौ साल पूरे होने पर प्रदेश का प्रत्येक जिला विकसित हो।

वहीं, ऐसे में अलग-अलग सेक्टर के लोगों और विशेषज्ञों का कहना है कि गाजियाबाद में विकास तो हुआ है लेकिन अभी और विकास की आवश्यकता है। यह तभी संभव होगा जबकि शासन से ठोस नीति के साथ ही बजट भी जारी हो।

लोगों का कहना है कि शिक्षा के सेक्टर में सभी स्कूलों के इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर किया जाए, जिले में रहने वाले लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं आसानी से उपलब्ध हो। औद्योगिक क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाएं दुरुस्त हों। महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाए जाएं। मेट्रो और नमो भारत ट्रेन का विस्तार करने के साथ ही शहर में इलेक्ट्रिक बसों और उसके रूट की संख्या भी बढ़ाई जाए।

वहीं, पर्यटन के मामले में जिला विकसित हो, इसके लिए दूधेश्वरनाथ कारिडोर बनाने के साथ ही हरनंदी नदी की सफाई, छोटा हरिद्वार कही जाने वाली मुरादनगर गंगनहर पर सुविधाएं बेहतर की जाएं। विकास सुनियोजित तरीके से हो सके, इसके लिए अवैध कालोनियों के कटने पर रोक लगाने के लिए शासन स्तर से ठोस नीति बनाई जाए।

भविष्य में एआइ टूल का इस्तेमाल कर होंगे अपराध

क्राइम पैटर्न लगातार बदल रहे हैं। पहले सप्ताह में दो से तीन डकैती होती थी। सड़क पर लूट की वारदातें होती थीं। अब साइबर क्राइम हो रहा है। लोगों के बैंकखातों से रुपये निकाले जा रहे हैं। हमें साइबर यूनिवर्सिटी बनाने और पुलिसबल को क्राइम के बदलते पैटर्न के हिसाब से प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है। आने वाले समय में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल कर होने वाले अपराध अधिक होंगे, उसे रोकना एक चुनौती होगा। इसको रोकने लिए पुलिस को पहले से ही तैयारी करके रखनी चाहिए। – पीयूष श्रीवास्तव, सेवानिवृत्त आइजी, सेवानिवृत्त आइजी और प्रो वाइस चांसलर एडमिन, एसडीजीआइ ग्लाेबल यूनिवर्सिटी

गाजियाबाद ने तेजी से शहरीकरण का अनुभव किया है। यद्यपि नियोजन मौजूद था, लेकिन विकास की गति शहरीकरण की तीव्रता के साथ तालमेल नहीं बिठा पाई। यदि हमें 2047 के लिए योजना बनानी है, तो 2060 को ध्यान में रखना होगा, क्योंकि बहुत बड़ी संभावना है कि 2060 के अनुमानित आंकड़े 2047 तक ही प्राप्त हो जाएं। इस चुनौती का समाधान दो स्तरों पर करना होगा। पहला, मौजूदा बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ और उन्नत बनाना ताकि बढ़ती जनसंख्या का भार उठाया जा सके। दूसरा, ग्रेटर गाजियाबाद के नए कान्सेप्ट के साथ गाजियाबाद का विस्तार मेरठ की दिशा में करना, विशेषकर मुरादनगर और मोदीनगर के ग्रामीण क्षेत्रों को समाहित करते हुए नियोजित विकास किया जाए। – अजय शंकर पांडे, पूर्व आइएएस अधिकारी

युवाओं को मिले मंच तो दुनिया का नवाचार केंद्र बने भारत

भारत युवाओं के दम पर खड़ा है। विकसित भारत का अर्थ सिर्फ आर्थिक मजबूती नहीं, बल्कि तकनीकी और सामाजिक बदलाव भी है। स्टार्टअप्स, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर और हरित ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में संभावनाएं हैं। सरकार और उद्योग मिलकर युवाओं को मंच दें तो भारत अगले 25 वर्षों में दुनिया का नवाचार केंद्र बन सकता है। – नीरज सिंघल, निवर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष आइआइए

उत्पादन क्षमता बढ़ाने पर दें ध्यान

भारत जब 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने की बात करता है, तो सबसे बड़ी जिम्मेदारी हमारे उद्योग जगत पर भी आती है। उत्पादन क्षमता बढ़ाना, तकनीक में निवेश करना और पर्यावरण के अनुकूल कार्यप्रणालियों को अपनाना ही हमें वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाएगा। विकसित भारत का सपना तभी सच होगा जब छोटे से छोटे उद्योग को भी आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिले। – उपेन्द्र गोयल, अध्यक्ष- उत्तर प्रदेश उद्यमी विकास संघ

जैविक खेती पर दिया जाए जोर

एग्रीकल्चर को शिक्षा में शुरू से ही शामिल किया जाए ताकि आने वाले समय में बच्चों को एग्रीकल्चर पर अधिक ज्ञान मिल सके और वह उद्यमी बन सके। जैविक खेती पर जोर दिया जाए और जैव विविधता को अपने पर जोर दिया जाए साथ ही जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाए। जैविक बाजार स्थापित किए जाएं ताकि किसानों को जैविक उत्पाद का उचित मूल्य मिल सके। जनपद गाजियाबाद में आने वाले 25 सालों में कोई भी गांव नहीं बचेगा इसलिए जो भी फ्लैट बनाए जाए नीति में शामिल हो कि उस फ्लैट में छत पर खेती गमले में खेती और किचन गार्डन बनाए जाने का प्रस्ताव नीति निर्धारण होना चाहिए। आइपीएम पद्धति को खेती में बढ़ावा दिया जाना चाहिए – नीलम त्यागी, किसान

चिकित्सा के क्षेत्र में एआइ तकनीक को मिलेगा बढ़ावा

स्वास्थ्य सेक्टर में एआइ का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए चिकित्सकों के साथ ही स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित करना चाहिए। 2047 में जन्म कुंडली जैसी हरेक मरीज की जिनोमिक पत्री होगी, जिससे असाध्य बीमारी का डीएनए जिन थैरेपी के माध्यम से इलाज संभव हो सकेगा। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के द्वारा हरेक मरीज का कम समय में पर्याप्त इलाज होगा। स्वास्थ्य क्षेत्र में 2047 में रोबोटिक सिस्टम से अनेक बीमारियों का इलाज होने लगेगा। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस द्वारा संचालित हास्पिटल की शुरूआत की प्रबल संभावना हैं। – डा. आलोक रंजन, वरिष्ठ फिजिशियन जिला एमएमजी अस्पताल

गांवों तक हो स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार

बीमारियों की संख्या जहां बढ़ेगी वहीं पर आने वाले समय में इलाज को लेकर अत्याधुनिक तकनीक में तेजी से बदलाव होगा। वर्ष 2047 तक हड्डी रोगियों की सर्जरी रोबोटिक सिस्टम के साथ आर्टिफिसियल इंटेलीजेंस से होने लगेगी। यह सामान्य बात हो जाएगी। टेलीकंसलटेंसी का ग्राफ बढ़ने लगेगा। लोग सेहत की नियमित जांच कराने को लेकर बेहद गंभीर होने लगेंगे। गांवों तक स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार होना चाहिए। – डा. अजय पंवार, हड्डी रोग विशेषज्ञ

वैश्विक शक्ति बनकर विश्व का मार्गदर्शन करे भारत

2047 में एक ऐसे राष्ट्र की परिकल्पना हम करते हैं जिसको सशक्त गौरवशाली और समृद्ध बनाने के लिए प्रत्येक छात्र कौशल से परिपूर्ण होकर नवाचार और पर्यावरण संरक्षण के माध्यम से अपने कौशल के द्वारा आर्थिक रूप से समृद्ध और आत्मनिर्भर हो गया होगा वह अपनी सकारात्मक ऊर्जा और योग्यता का प्रयोग देश के नागरिकों के लिए बेहतर जीवन स्तर और बुनियादी सुविधाएं स्वस्थ्य और स्वच्छ पर्यावरण,व उत्तम स्वास्थ्य उपलब्ध कराने में लगायेगा। 2047 मे प्रत्येक व्यक्ति अपने-अपने कर्तव्यों का निर्वहन ईमानदारी मेहनत और लगन के द्वारा कर अपने देश प्रेम की अभिव्यक्ति करे । हमारे संपूर्ण देशवासियों और युवाओं की ऊर्जा उनके समर्पण और मेहनत से 2047 में भारतवर्ष पुनः अखंड भारत, के रूप में एक वैश्विक शक्ति बनकर विश्व का मार्गदर्शन करेगा। – अंतिमा चौधरी, प्रधानाचार्य, एमबी गर्ल्स इंटर कालेज, चंद्रपुरी

भारतीय संस्कारों से जुड़े रहें विद्यार्थी

मैं 2047 की शिक्षा प्रणाली को इस रूप में देखना चाहती हूँ कि भारत अपनी प्राचीन संस्कृति और मूल्यों के साथ विश्व ज्ञान का केंद्र बने। ऐसा भारत जहां विदेशों से विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करने आएं, और हमारे छात्र पूरी तरह डिजिटल रूप से सक्षम हों, परंतु भारतीय संस्कारों से जुड़े रहें। भारत को विकसित के साथ ही संस्कारवान होना चाहिए, जिससे कि दूसरे देश के लोग सीख ले सकें। – सीमा सेठी, प्रधानाचार्य, महर्षि दयानंद विद्यापीठ

जमीनी स्तर पर हो रहे काम की हो मानिटरिंग

भारत की खेल पहचान में जबरदस्त वृद्धि हुई है। देश में खेल के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव आया है। खेलों को लेकर जमीनी स्तर पर हो रहे काम की मानिटरिंग बेहद जरूरी है। तभी खेलों में भी विकसित भारत बनेगा। हर प्रकार के खेलों से जुड़े खिलाड़ियों की प्रतिभा को पहचान कर उसको और निखारने के लिए कार्य किया जाना चाहिए, जिससे कि सभी प्रकार के खेलों में विश्व में भारत के खिलाड़ियों का डंका बज सके। – सत्या यादव, मैराथन धावक

 

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