
संवाददाता
गाजियाबाद। कविनगर स्थित श्री जैन धर्म स्थानक को नीलामी के माध्यम से बेचने पर अदालत ने रोक लगा दी है। केबी-46 पर श्री जैन धर्म स्थानक 35 वर्षों से भी अधिक समय से इस भवन में संचालित किया जा रहा है। यहां पर प्रतिवर्ष चातुर्मास कार्यक्रम होता है जिसमें नियमित पूजा पाठ णमोकार महामंत्र का जाप व प्रवचन इत्यादि होते हैं। मामला फिलहाल कोर्ट में लंबित है। इसकी नीलामी को लेकर जैन समाज में भारी रोष देखा गया था। एक सरकारी बैंक की ओर से नीलामी की प्रकिया शुरू की गई थी।
12 साल पहले फर्म की गारंटी के रूप में स्थानक की जमीन के कागजात बैंक में गिरवी रखकर करोडों का लोन लिया गया था। आरोप है कि धर्म स्थानक की जमीन पर फर्जी तरीके से लोन लिया गया है। अतुल जैन ने कहा कि श्री जैन धर्म स्थानक श्री श्वेतांबर स्थानकवासी जैन सभा को वर्ष 1988 में दान में मिला था। उसी समय से इस पर धार्मिक कार्यक्रम चलते रहते हैं। जैसे ही जैन समाज के पदाधिकारियों और अन्य धर्म प्रेमियों को ज्ञात हुआ कि ई-ओक्शन द्वारा इसको बेचा जा रहा है तो सभी धर्म प्रेमियों ने इसका विरोध किया और न्यायालय में उपस्थित होकर भी विरोध दर्ज किया।

इस संबंध में श्वेतांबर स्थानक वासी जैन सभा ने सांसद अतुल गर्ग को भी पत्र लिखा। उन्होंने अल्पसंख्यक मंत्री और वित्त मंत्री को भी पत्र लिखकर नीलामी को रुकवाने का निवेदन किया था। पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ. अनिल अग्रवाल को भी जैन समाज के प्रतिनिधि मंडल ने पत्र लिखकर और इस विषय में नीलामी रुकवाने के लिए निवेदन किया था जिन्होंने संबंधित अधिकारियों से वार्ता की।
श्वेतांबर स्थानक वासी जैन सभा ने प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग, और अल्पसंख्यक मंत्रालय के साथ-साथ आयुक्त पुलिस गाजियाबाद और जिलाधिकारी गाजियाबाद को भी पत्र लिखकर नीलामी रुकवाने का निवेदन किया था। ताकि जैन समाज के धर्म प्रेमियों की आस्था को ठेस ना लगे और किसी भी तरह की कानून व्यवस्था ना बिगड़े।
उन्होंने कहा कि बैंक द्वारा गारंटी के रूप में धोखाधड़ी करके संपत्ति के कागज रख लिए जबकि यह लीज होल्ड संपत्ति है। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण से अनापत्ति प्राप्त नहीं की गई बल्कि एक फर्जी अनापत्ति प्रमाण पत्र जमा किया गया जिसके लिए सीबीआई में भी प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गई और उसकी जांच चल रही है।
काफी देर तक बहस सुनने के उपरांत दिल्ली के डेब्ट रिकवरी ट्रिब्यूनल न्यायालय ने इस संपत्ति को 12 सितंबर 2025 को ई- ओक्शन द्वारा होने वाली बिक्री पर रोक लगा दी है।



