latest-newsएनसीआरदिल्ली

कैसे साफ होगी दिल्ली ? आर्थिक तंगी से जूझ रहा एमसीडी, बजट के करीब पहुंच गई निगम की देनदारी 

संवाददाता 

नई दिल्ली। केंद्र सरकार देशभर के स्थानीय निकायों को आत्मनिर्भर बनाना चाहती है लेकिन देश के बड़े स्थानीय निकायों में दूसरे नंबर पर माने जाने वाले दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) का कर्ज और देनदारी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है।

वर्ष 2022 में पूर्वकालिक तीन निकायों को एक करके दिल्ली नगर निगम बनाया, लेकिन अब भी इसकी चुनौती खत्म नहीं हुई है। समस्याओं का आलम यह है एमसीडी की देनदारी पिछले छह माह में दो हजार करोड़ रुपये बढ़ गई है।

17 हजार करोड़ के बजट वाली एमसीडी पर 16 हजार करोड रुपये की देनदारी हो गई है। इसकी वजह से नागरिक सेवाएं भी प्रभावित हो रही है क्योंकि निगम कूड़ा उठाने के लिए नियुक्त एजेंसियों को भी पूरा भुगतान नहीं कर पा रहा है। ठेकेदारों का बकाया भी 51 करोड़ तक पहुंच गया है। बकाया होने से कूड़ा उठाने वाली एजेंसिया भी सही ढंग से कार्य नहीं कर रही हैं।

देनदारी बढ़ने की बड़ी वजह ठेकेदारों का भुगतान की राशि का बढ़ना तो है ही साथ ही आंतरिक लोन की राशि और कर्मचारियों के सेवानिवृत्त होने से उनको सेवानिवृत्ति के लाभ पर दी जाने वाली ग्रेच्युटी और अन्य भुगतान का होना शामिल है।

फरवरी 2025 में निगमायुक्त ने अपने बजट भाषण में कर्मचारियों के सेवानिवृत्त होने या उनके बकाये के लिए 2,751.78 करोड़ रुपये बकाया होने की जानकारी दी थी। जो कि अब बढ़कर 3,605 करोड़ पहुंच गई है।

इसी तरह ठेकेदारों के भुगतान के रूप में 1,079.50 करोड़ का बकाया था जो कि अब बढ़कर 1,213 करोड़ तक हो गया है। इसी प्रकार आंतरिक लोन की राशि 2,746 करोड़ से 3,353 करोड़ तक पहुंच गई है।

निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कर्मचारियों व सेवानिवृत्त कर्मचारियों के भुगतान से संबंधी बकाये बढ़ने की वजह से देनदारी पर असर पड़ा है। निगम ने कर्मचारियों के बकाये को खत्म करने का काम तेजी से शुरू किया है। 2022 में जब तीन निगमों का एकीकरण किया गया था तब 2017 तक सेवानिवृत्त हुए कर्मियों का बकाया था।

अब हम उसे खत्म करते करते मार्च 2023 ले आए हैं। साथ ही हमने अब आदेश जारी कर दिए हैं मार्च 2025 तक के भुगतान किए जाए। ऐसे में बारी के आधार पर जैसे-जैसे पैसा आएगा, वैसे-वैसे भुगतान कर दिया जाएगा।

दिल्ली सरकार से मांगी है निगम ने मदद

दिल्ली नगर निगम ने अपनी देनदारी को कम करने के लिए दिल्ली सरकार से भी मदद मांगी है। निगम ने दिल्ली सरकार द्वारा पूर्वकालिक निगम को दिए गए लोन को खत्म करने के साथ ही ट्रांसफर ड्यूटी पर मिलने वाले राजस्व में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग की है। अभी निगम को चार प्रतिशत मिलता है।

निगम चाहता है कि दिल्ली सरकार को मिलने वाली तीन प्रतिशत की हिस्सेदारी कम कर 0.25 किया जाए और बची हुई हिस्सेदारी निगम को दी जाए। इससे निगम को करीब 1000 करोड़ रुपये तक का अतिरिक्त राजस्व सालाना मिलने लगेगा। वहीं, निगम तीसरे राज्य वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुरूप भी 427.69 करोड़ रुपये भी मांगे है।

इसके साथ ही निगम ने अपने आंतरिक राजस्व को बढ़ाने के लिए संपत्तिकर से राजस्व बढ़ाने पर भी जोर दिया है। पिछले वर्ष जहां 2,132 करोड़ रुपये का राजस्व निगम को संपत्तिकर से आया था। अब शुरू के ही चार माह में निगम को दो हजार करोड़ रुपये करीब का राजस्व आ चुका है।

बिल तैयार न होने की वजह बढ़ रहे हैं देनदारी

निगम पर देनदारी बढ़ने की एक वजह यह भी है कि अभी तक न तो कर्मचारियों को किए जाने वाले बकाये भुगतान के बिल बन रहे थे और न ही सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों के बकाये के भुगतान को चिह्नित किया जा रहा था। इससे निगम की सही देनदारी सामने नहीं आ रही थी।

निगमायुक्त अश्वनी कुमार के आने के बाद इस दिशा में काम शुरू हुआ और बकाये की पहचान कर उसे खत्म किया जा रहा है। इसमें कर्मचारियों के ग्रेच्युटी और सातवें वेतन आयोग लागू होने के भुगतान के बकाये शामिल हैं।

फरवरी 2025 में निगम पर देनदारी

  • कर्मचारियों के बकाये व सेवानिवृत्ति के लाभ – 2751.78
  • ठेकेदारों का भुगतान-1,079.50
  • आंतरिक लोन-2,746.88
  • दिल्ली सरकार से लोन 7,541.11
  • कुल-14,119.27

अगस्त 2025 में निगम पर देनदारी

  • कर्मचारियों के बकाये व सेवानिवृत्ति के लाभ – 3,605.87
  • ठेकेदारों का भुगतान-1,213.88
  • आंतरिक लोन-3,353.37
  • दिल्ली सरकार से लोन -7,541.11
  • कूड़ा उठाने के लिए ठेकेदारों का भुगतान -51.92
  • कुल-16,226.51
    (नोट: राशि करोड़ रुपये में।)

दिल्ली सरकार हमारी मदद के लिए तैयार है। पिछले दिनों हुई बैठक में सीएम ने स्वयं निगम को जो जो मदद चाहिए उसकी जानकारी मांगी थी। हम लगातार कर्मचारियों के हित में काम कर रहे हैं। पहले कई माह तक कर्मियों का वेतन नहीं मिलता था हम अब हर माह एक तारीख को वेतन दे रहे हैं। साथ ही सेवानिवृत्त हो चुके कर्मियों के बकाये का भुगतान भी किया जा रहा है।– राजा इकबाल सिंह, महापौर, दिल्ली

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com