
विशेष संवाददाता
नई दिल्ली । कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया की गवर्निंग काउंसिल चुनाव के नतीजे घोषित हो गए। भाजपा बनाम भाजपा जंग में एक बार फिर राजीव प्रताप रूडी का दबदबा देखने को मिला। रूढी ने सचिव (प्रशासन) पद के लिए हुए चुनाव में भाजपा के ही नेता और पूर्व मंत्री संजीव बालियान को बेहद कड़े मुकाबले में शिकस्त दी। चुनाव भले ही सांसदों के क्लब का था लेकिन रूढी की जीत के कई मायने हैं। रूढी की जीत को विपक्षी एकता और भाजपा में मोदी-शाह की जोडी के खिलाफ बगावत के रूप में देखा जा रहा है।
पांच बार के लोकसभा सांसद और मौजूदा सचिव (प्रशासन) रूडी का मुकाबला दो बार के लोकसभा सांसद बालियान से था। लेकिन अंततः रूडी ने आरामदायक अंतर से जीत दर्ज की। यह मुकाबला इसलिए खास रहा क्योंकि इसे “भाजपा बनाम भाजपा” की लड़ाई माना जा रहा था। दोनों ही प्रत्याशी सत्ताधारी पार्टी से थे। कुल 1,295 वर्तमान और पूर्व सांसदों में से इस बार 680 से अधिक ने मत डाले, जो कि क्लब के पदाधिकारियों के चुनाव में सबसे ज्यादा मतदान रहा।
सूत्रों का कहना है कि बालियान को अमित शाह और उनके सर्मथकों का सर्मथन प्राप्त था इसलिए उनकी जीत पक्की मानी जा रही थी। ऐसा माना जा रहा है कि इसी कारण विपक्षी दलों से जुड़े सदस्य रूडी के पक्ष में हो गए, वहीं भाजपा के वोटर भी दो भागों में बंटे रहे– जिनमें से ज्यादातर ने रूढी को समर्थन दिया।
राजीव प्रताप रूढी की जीत इस बात का इशारा है कि भाजपा में सबकुछ ठीक नहीं हैं। भाजपा में मोदी या शाह अंगर कुछ हासिल करने का संकेत भर कर दें तो इसे पार्टी का फरमान समझा जाता है। लेकिन बताया जा रहा है कि कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में सचिव पद का चुनाव लडे संजीव बालियान के लिए तो स्पष्ट चर्चा थी कि वे सरकार में नंबर दो की हैसियत रखने वाले शाह के उम्मीदवार है। लेकिन इसके बावजूद उनकी हार ये इशारा है कि भाजपा में भीतरघात का खेल शुरू हो चुका है।
बता देंकि कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत एक गैर-सरकारी संस्था है। इसका गठन संविधान सभा के सदस्यों के हित में, सामाजिक संपर्कों को बढ़ावा देने और सामान्य सुविधाएं देने के मकसद से फरवरी 1947 में किया गया था।
लोकसभा के स्पीकर कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया के पदेन अध्यक्ष होते हैं। सचिव (खेल) के लिए राजीव शुक्ला, सचिव (कल्चर) के लिए त्रिची सिवा और कोषाध्यक्ष के पद पर जीतेंदर रेड्डी पहले ही निर्विरोध निर्वाचित हो चुके थे। एग्जीक्यूटिव सदस्य के (11) पदों के लिए भी 14 लोगों के लिए वोट डाले गए।



