
विशेष संवाददाता
नई दिल्ली। भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर का झूठ बार-बार दोहराने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के झूठों की फेहरिस्त लंबी होती चली जा रही है। इसी दिशा में अब ट्रंप ने भारतीय इकोनॉमी को ही डेड बता दिया है, जबकि वास्तविकता यह है कि भारत की विकास दर दुनियाभर में सबसे तेज हैं। यहां तक कि अमेरिकी रेटिंग एजेंसियों खुद भारत की तेज बढ़ती इकोनॉमी का लोहा मान रही हैं। लेकिन झूठ पर झूठ बोले जा रहे ट्रंप को टैरिफ के सिवाय कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा है। वैसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ को 7 दिन के लिए टाल दिया है। ये आज से लागू होना था, जो अब 7 अगस्त से लागू होगा। हालांकि ट्रैड डील में इस टैरिफ के कम होने की बात कही जा रही है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों का मानना है कि इस टैरिफ का भारत की अर्थव्यवस्था पर कोई ज्यादा असर होने वाला नहीं है। अंतरराष्ट्रीय ब्रोकरेज फर्म गोल्डमैन सैश, नोमुरा और बार्कलेज ने अपनी-अपनी रिपोर्ट में ट्रंप टैरिफ से भारत की जीडीपी में केवल 0.3 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान लगाया है। नोमुरा का मानना है कि टैरिफ का भारत पर कम असर होगा और इससे विकास दर में मात्र 0.2 प्रतिशत तक गिरावट आ सकती है।
ट्रंप का झूठ बोलने का रिकॉर्ड, अमेरिकी अखबारों ने लिस्ट छापी
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप झूठ बोलने, अपनी बात से मुकरने और यू-टर्न लेने के लिए जाने जाते हैं। ट्रंप ने भारत-पाक युद्ध रुकवाने का 26 बार दावा किया है। लेकिन, भारत सरकार तीसरे पक्ष की भूमिका से साफ-साफ इनकार कर चुकी है। लेकिन ट्रंप हैं कि झूठ पर झूठ बोले जा रहे हैं। इससे पहले, न्यूयॉर्क टाइम्स और वॉशिंगटन पोस्ट समेत अमेरिका के तमाम अखबार ट्रंप के झूठ की फेहरिस्त प्रकाशित कर चुके हैं। भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ के बाद वॉशिंगटन में ट्रंप ने कहा कि भारत-रूस दोनों अपनी डेड इकोनॉमी के साथ डूब जाएं, मुझे फर्क नहीं पड़ता। भारत की नीतियां अमेरिका के लिए नुकसानदायक हैं।
अमेरिकी रेटिंग एजेंसियों ने भारतीय इकोनॉमी को बताया सबसे सशक्त
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जिस इकोनॉमी को डेड बता रहे हैं, उसी भारत की इकोनॉमी को अमेरिकी एजेंसियां ही सबसे तेज और सशक्त बता रही हैं। लेकिन ट्रंप ने जानबूझकर इस और से आंखें मूंदकर एक और झूठ गढ़ दिया है। पिछले माह में ही भारत की इकोनॉमी को दुनिया की आर्थिक नब्ज टटोलने वाली 3 शीर्ष अमेरिकी रेटिंग एजेंसियों एसएंडपी ग्लोबल, गोल्डमैन सेक व मॉर्गन स्टेनली ने सबसे सशक्त बताया था। हाल में आईएमएफ ने भी कहा है कि भारतीय इकोनॉमी सबसे तेजी से बढ़ रही है और 2025-26 में 6.4% दर से बढ़ेगी। जबकि अमेरिकी ग्रोथ रेट 2.9% है। वहीं, एपल जैसी शीर्ष अमेरिकी कंपनियां भारत में निवेश बढ़ा रही हैं।
भारत की अर्थव्यवस्था घरेलू मांग पर टिकी होने से असर सीमित रहेगा
भारत से जाने वाले सामानों पर सात अगस्त से 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान अमेरिका ने किया है। इससे भारत और अमरीका के बीच व्यापारिक रिश्तों में तनाव की स्थिति है। हालांकि विशेषज्ञों के मुताबिक भारत की आर्थिक विकास दर, निर्यात और कंपनियों की कमाई पर टैरिफ का ज्यादा असर पड़ने वाला नहीं है। अंतरराष्ट्रीय ब्रोकरेज फर्म गोल्डमैन सैश, नोमुरा और बार्कलेज ने अपनी-अपनी रिपोर्ट में ट्रंप टैरिफ से भारत की जीडीपी में 0.3 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान लगाया है। नोमुरा का मानना है कि टैरिफ का भारत पर कम असर होगा और इससे विकास दर में 0.2 प्रतिशत तक गिरावट आ सकती है। बार्कलेज और गोल्डमैन सैश का मानना है कि भारत की अर्थव्यवस्था घरेलू मांग पर टिकी होने से असर सीमित रहेगा।
ट्रंप ने कुछ देशों पर ज्यादा टैरिफ का दबाव बनाकर लिया है यू-टर्न
गोल्डमैन सैश का कहना है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह फैसला इसलिए लिया है क्योंकि भारत ने रूस से ऊर्जा और रक्षा के सौदे किए हैं, जिससे अमरीका नाराज है। नोमुरा की रिपोर्ट में कहा गया है कि अमरीका की नाराजगी सिर्फ व्यापार घाटे की वजह से नहीं है, बल्कि उसे भारत की रूस पर बढ़ती निर्भरता भी चिंता में डाल रही है। वहीं, बार्कलेज का मानना है कि यह फैसला अमरीका की ओर से ट्रेड डील हासिल करने की रणनीति का हिस्सा है। अमेरिकी राष्ट्रपति पहले भी कुछ देशों पर ज्यादा टैरिफ का दबाव बनाकर बाद में इसे कम कर चुके हैं। क्योंकि उनके लिए अपनी ही कही किसी भी बात पर यू-टर्न लेना मामूली बात है।
भारत मांसाहारी गाय का दूध किसी भी कीमत पर नहीं लेगा
भारत और अमेरिका के बीच फरवरी में ट्रेड डील पर बातचीत शुरू हुई थी। यानी 6 महीने हो चुके हैं, लेकिन दोनों देश अभी तक किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंच पाए हैं। दरअसल, भारत में ज्यादातर लोग शुद्ध शाकाहारी दूध उत्पाद चाहते हैं, जबकि अमेरिका में कुछ डेयरी उत्पादों में जानवरों की हड्डियों से बने एंजाइम (जैसे रैनेट) का इस्तेमाल होता है। भारत ऐसी मांसाहारी गायों के दूध और उसने बने प्रोडक्ट को किसी भी कीमत पर लेने को तैयार नहीं है। इसके पीछे किसानों के हित के अलावा धार्मिक वजहें भी हैं। इसके अलावा भारत अपने छोटे और मंझोले उद्योगों (MSME) को लेकर ज्यादा सावधानी बरत रहा है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है और इस सेक्टर में करोड़ों छोटे किसान लगे हुए हैं। अगर अमेरिकी डेयरी उत्पाद भारत में आएंगे, तो वे स्थानीय किसानों को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा, धार्मिक भावना भी जुड़ी हुई है। इसलिए भारत की शर्त है कि कोई भी डेयरी उत्पाद तभी भारत में बिक सकता है जब वह यह प्रमाणित करे कि वह पूरी तरह शाकाहारी स्रोत से बना हो।
ईयू, जापान और कई अन्य देशों ने ट्रंप के दबाव में बात मानी
दरअसल, अब इस बात का खुलासा हो चुका है कि अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अक्सर व्यापार के मामले में देशों को धमकाने के लिए ऊंचा टैरिफ लगाते हैं, फिर अपनी मर्जी के मुताबिक ट्रेड डील करते हैं। ईयू, जापान और कई अन्य देशों ने ट्रंप के दबाव में आकर उनकी बात मान ली थी। ट्रंप का टैक्स लगाने का तरीका दिखाता है कि वे व्यापार को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन पीएम मोदी के दूरदर्शी विजन के चलते भारत ने अपने हितों को बचाने का फैसला किया है। भारत के मामले में ट्रंप का यह तरीका अभी सफल नहीं हो पाया। क्योंकि भारत दबाव में आने के बजाय अपनी बात पर कायम रहा। नई दिल्ली ने तो साफ-साफ संदेश दे दिया कि सरकार राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी। थिंक टैंक जीटीआरआइ ने कहा है कि 25 प्रतिशत टैरिफ के बावजूद भारत की स्थिति अमरीका के साथ ट्रेड डील करने वाले देशों से बेहतर हो सकती है। भारत के भाव न देने के बाद राष्ट्रपति ट्रंप का रुख नरम पड़ता दिखाई दे रहा है। 25 प्रतिशत टैरिफ और अतिरिक्त जुर्माने की घोषणा के बाद ट्रंप के तेवर कुछ ही घंटे में ढीले पड़ गए। अब उन्होंने पीएम मोदी की दोस्ती का हवाला देते हुए भारत के साथ बातचीत जारी रखने की बात कही है।

पीएम मोदी को दोस्त बताकर ट्रंप बोले- बातचीत अभी जारी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को आखिरकार मुंह की खानी पड़ी है। 25 प्रतिशत ट्रंप टैरिफ के बाद भारत ने साफ कर दिया है कि वह किसी भी दबाव में आने वाला नहीं है। भारत के इस कदम के बाद अब ट्रंप ने फिर से दोस्ती का हाथ बढ़ाया है और कहा है कि मोदी मेरे दोस्त हैं और ट्रेड डील पर फिर से बातचीत हो सकती है। एक अगस्त के बजाए अब टैरिफ की नई तिथि 7 अगस्त आई है। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने के पीछे ब्रिक्स समूह और नई दिल्ली के साथ भारी व्यापार घाटे का हवाला दिया और यह भी कहा कि भारत के साथ बातचीत जारी है। ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना दोस्त बताया लेकिन कहा कि भारत अमेरिका के साथ व्यापार के मामले में ज्यादा कुछ नहीं करता है। उन्होंने कहा कि ‘भारत ब्रिक्स का सदस्य’ है, जो ‘अमेरिका विरोधी देशों का समूह’ है।
डोनाल्ड ट्रंप के ट्रैप में ना फंसना भारत की एक बड़ी सफलता
जीटीआरआइ ने कहा कि अमेरिका और भारत के बीच अभी भी समझौता हो सकता है, लेकिन यह केवल उचित शर्तों पर ही होगा। इसमें भारत के हित भी समाहित होंगे। फिललहाल तो भारत डोनाल्ड ट्रंप के एकतरफा समझौते के जाल से दूर निकल आया है, जो कि वैश्विक परिदृश्य में एक बड़ी सफलता है। ब्रिटेन, ईयू, जापान, इंडोनेशिया और वियतनाम ट्रेड डील के बावजूद अब उच्च टैरिफ का सामना कर रहे हैं और बदले में अमरीका को व्यापक रियायतें भी देंगे। इसमें अमरीकी कृषि उत्पादों पर शून्य टैरिफ, बड़े पैमाने पर निवेश के वादे और अमरीकी तेल, गैस व हथियारों की खरीद शामिल है। भारत ने ऐसी कोई रियायत नहीं दी है।
झंडा ऊंचा रहे हमारा: दबाव के बावजूद 5 वजह से नहीं झुका भारत
• भारत ने खेती और डेयरी-उत्पादों के मामले में झुकने से इनकार कर दिया। दरअसल पीएम मोदी भारत के जिन चार स्तंभों की बात करते हैं, उनमें एक अन्नदाता यानी किसान हैं। खेती और डेयरी-उत्पाद सीधे तौर पर इस बड़े वर्ग से जुड़ें हैं। यही वजह है कि भारत के किसानों के पक्ष में अड़ने से अमरीका के साथ बातचीत अटकी हुई है। अमरीका में डेयरी उत्पादों को बनाने के लिए जानवरों को जो खाना खिलाया जाता है, उसमें मांसाहारी चीजें भी होती हैं। यह भारत की संस्कृति के खिलाफ है।
• भारत सरकार ने स्टेंट और घुटने के इम्प्लाट जैसे कई जरूरी मेडिकल उपकरणों की कीमतों पर नियंत्रण हटाने से भी इनकार कर दिया।
• डिजिटल क्षेत्र में भी भारत ने 3 अपने डेटा को देश में ही रखने के नियम पर अडिग रहा। अमरीका की टेक कंपनियों ने इसका विरोध किया था, लेकिन भारत ने उनकी बात नहीं मानी।
• खेती भी एक ऐसा मुद्दा है जिस पर भारत ने समझौता नहीं किया। भारत ने जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) फसलों के मामले में भी कोई समझौता नहीं किया। अगर भारत इन मामलों में झुक जाता, तो इसका किसानों पर बुरा असर पड़ता।
• कुछ मुद्दे डोनाल्ड ट्रंप की निजी कंपनियों से जुड़े हैं, जैसे रियल एस्टेट और क्रिप्टोकरेंसी। अमेरिका ने उन्हें भी डील में शामिल किया है, जिस पर भारत राजी नहीं हुआ।
जगी उम्मीदें: जब ट्रेड डील होगी तो टैरिफ की दरें कम रहेंगी
ट्रंप टैरिफ से बाजार के एक्सपर्ट ज्यादा टेंशन में नहीं हैं। वे मान रहे हैं कि यह ट्रंप की भारत के साथ अपनी शर्तों पर डील करने की एक रणनीति भर है। पूर्व डिप्लोमेट दीपक वोहरा ने कहा, बिना डील के 25 फीसदी टैरिफ हासिल करना इसलिए अहम है, क्योंकि अधिकांश देश 30 फीसदी या उससे ज्यादा के स्तर पर हैं। वहीं ईयू और जापान ही 15-15 फीसदी के स्तर पर हैं। भारतीय एक्सपोर्टर के कंपटीशन वाले देशों में फिलीपींस, वियतनाम और इंडोनेशिया 19-20 फीसदी ब्रेकेट में हैं और इन्होंने डील कर ली है। ऐसे में जब ट्रेड डील होगी तो टैरिफ की दरें कम रहेगी और भारत अपने प्रतिस्पर्धियों से फायदे में ही रहेगा।



