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साथ आये उद्धव-राज ठाकरे की मराठी मानुषों पर सियासी नजर

अजय कुमार

अजय कुमार ( वरिष्ठ पत्रकार)

महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा खेला हुआ है। दशकों से सियासत की दुनिया में एक-दूसरे के दुश्मन बने दो भाई एक हो गये हैं। बात राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के साथ आने की हो रही है। दोनों भाइयों ने एक साथ आने पर एक सुर में प्रतिक्रिया व्यक्त की। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने कहाकि जो बाल साहब ठाकरे नहीं कर सके, वह आज देवेंद्र फडणवीस ने कर दिया। उन्होंने हम दोनों भाइयों को साथ खड़ा कर दिया। वहीं, इस मौके पर उद्धव ठाकरे ने भी राज ठाकरे के सुर में सुर मिलाया। उन्होंने कहा कि हम क्या कहते हैं, इससे ज्यादा जरूरी है यह है कि हम साथ हैं। हम साथ आए हैं और साथ ही रहेंगे। हमें इस्तेमाल करके फेंकने वालों को अब हम फेंकेंगे।

इस मौके पर दोनों ने कई मुद्दो पर अपनी प्रतिक्रिया दीं। उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आपने हमें बहुत इस्तेमाल कर लिया है। अगर आपके पास बालासाहेब ठाकरे का समर्थन न होता तो आपको महाराष्ट्र में कौन जानता? आप हमें हिंदुत्व सिखाने वाले हैं कौन? उद्धव ने कहा कि जब मुंबई में दंगे हो रहे थे मराठा लोगों ने महाराष्ट्र में सभी हिंदुओं को बचाया था, चाहे वो कोई भी होंगे। अगर आप विरोध के लिए, न्याय पाने के लिए लड़ रहे मराठी लोगों को गुंडा कह रहे हैं तो ठीक है, हम गुंडा हैं।इससे पहले इस मौके पर राज ठाकरे ने कहा कि हिंदी अच्छी भाषा है। हमें हिंदी अच्छी लगती है। सारी भाषाएं अच्छी हैं। लेकिन हिंदी भाषा को थोपा जाना बर्दाश्त नहीं। राज ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने मराठी लोगों की मजबूत एकता के कारण त्रिभाषा फार्मूले पर फैसला वापस लिया। त्रिभाषा फार्मूला पर फैसला मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने की साजिश का मुख्य हिस्सा था।महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे ने केंद्र सरकार पर कथित रूप से देशभर में हिंदी थोपने को लेकर जमकर निशाना साधा। उन्होंने न सिर्फ शिक्षा व्यवस्था में बदलाव की आलोचना की, बल्कि भारतीय जनता पार्टी ( को भी उसकी हिंदुत्व की परिभाषा पर सवालों के घेरे में खड़ा किया। राज ठाकरे ने लाल कृष्ण आडवाणी का उदाहरण देते हुए कहा, एलके आडवाणी मिशनरी स्कूल में पढ़े हैं। क्या वह कम हिंदू हो गए?

राज ठाकरे ने आगे कहा कि भाषा का व्यक्ति से क्या लेना-देना? उन्होंने कहाकि बालासाहेब ठाकरे और मेरे पिता श्रीकांत ठाकरे ने इंग्लिश मीडियम में पढ़ाई की। बालासाहेब ठाकरे ने अंग्रेजी स्कूल में पढ़ाई की, अंग्रेजी अखबार में काम किया लेकिन मराठी को लेकर कभी समझौता नहीं किया। दक्षिण भारत के कई राजनीतिक नेता और फिल्मी हस्तियां अंग्रेजी विद्यालयों में पढ़ी, लेकिन उन्हें तमिल और तेलुगु भाषा पर गर्व है। लालकृष्ण आडवाणी ने सेंट पैट्रिक हाईस्कूल में पढ़ाई की, जो एक मिशनरी स्कूल था, लेकिन उनके हिंदुत्व पर शक कर सकते हैं? मनसे प्रमुख ने कहाकि महाराष्ट्र से बड़ा कोई मुद्दा नहीं है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के लिए जो कर सकते हैं करेंगे। राज ठाकरे ने इस दौरान कहा कि भाषा के बाद यह लोग जाति की राजनीति करेंगे। उन्होंने कहा कि ये मराठी लोगों को कभी एक साथ नहीं आने देंगे। राज ठाकरे ने कहाकि हिंदी बोलने वाले राज्य आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं। लोग वहां से भागकर गैर हिंदी भाषी प्रदेशों की तरफ आ रहे हैं।

राज ठाकरे ने आगे कहा कि यह लोग बस वोट के लिए ऐसा कर रहे हैं। अगर हिंदी लागू करने का यह फैसला चुपचाप स्वीकार कर लिया जाता तो आगे यह लोग अगले कदम के रूप में मुंबई को महाराष्ट्र से अलग कर देते। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषी राज्यों पर कई साल तक मराठा शासन रहा। लेकिन क्या वहां पर कभी हमने मराठी लागू करने की कोशिश की? राज ठाकरे ने तंज करते हुए कहाकि मंत्रियों की हिंदी सुनोगे तो गिर पड़ोगे। कुल मिलाकर दोनों नेता हिन्दी और महाराष्ट्र में काम धंधा करने वाले यूपी-बिहार के हिन्दी बोलने वाले लोगों का विरोध करके मराठी मानुष के वोट को साधने की कोशिश करते नजर आये।

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