
संवाददाता
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की अहम सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है. केंद्रीय राज्य मंत्री और अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल अपनी पार्टी में उभरे विद्रोह से परेशान हैं. पार्टी संस्थापक सोने लाल पटेल की जयंती से ठीक एक दिन पहले, 1 जुलाई 2025 को, पूर्व कार्यकर्ताओं ने ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह की अगुवाई में ‘अपना मोर्चा’ नामक एक नई पार्टी के गठन का ऐलान किया है. इस नए गुट ने दावा किया है कि उसे अपना दल (एस) के सभी विधायकों का समर्थन प्राप्त है और वह आगामी 2027 विधानसभा चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का समर्थन करेगा. इस घटनाक्रम ने अनुप्रिया पटेल के लिए सियासी चुनौतियां बढ़ा दी हैं.
इस विद्रोह को दबाने के लिए अनुप्रिया पटेल ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर विद्रोही नेताओं और उनके रिश्तेदारों को सरकारी मनोनीत पदों से तत्काल हटाने की मांग की है. अपने दल (एस) के प्रदेश अध्यक्ष आर.पी. गौतम द्वारा लिखे गए इस पत्र में कहा गया है कि विद्रोही नेता ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह की पत्नी मोनिका आर्या वर्तमान में राज्य प्रशासन में अतिरिक्त सरकारी अधिवक्ता हैं, जबकि एक अन्य विद्रोही नेता अरविंद बौद्ध पूर्वांचल विकास बोर्ड के सदस्य हैं. गौतम ने इन नियुक्तियों को बिना पार्टी की सहमति के हाल ही में किए जाने का दावा किया और इन्हें हटाने की मांग की ताकि “पारस्परिक विश्वास” और “गठबंधन के प्रति पारदर्शिता” को मजबूत किया जा सके.
विद्रोही गुट का दावा और रणनीति
ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह के नेतृत्व में गठित ‘अपना मोर्चा’ ने दावा किया है कि उसे अपना दल (एस) के सभी विधायकों का समर्थन प्राप्त है. इस गुट ने अगले साल होने वाले पंचायत चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारने और 2027 के विधानसभा चुनाव में एनडीए को समर्थन देने की घोषणा की है. हालांकि, अपना दल (एस) के नेताओं ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा है कि ये विद्रोही नेता 2022 में “पार्टी विरोधी गतिविधियों” के कारण निष्कासित किए गए थे और इनका कोई राजनीतिक आधार नहीं है. राज्य मंत्री और अनुप्रिया के पति आशीष पटेल ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “ये लोग तीन साल पहले पार्टी से निकाले गए थे. यह मोर्चा एक बड़ी साजिश का हिस्सा है, जो तब सामने आता है जब हम संगठनात्मक स्तर पर कुछ बड़ा करने की योजना बनाते हैं.”
पार्टी में संगठनात्मक फेरबदल
इस संकट के बीच अनुप्रिया पटेल ने अपनी पार्टी में बड़े संगठनात्मक बदलाव किए हैं. हाल ही में जारी एक नई सूची में उनके पति आशीष पटेल को कार्यकारी अध्यक्ष से हटाकर उपाध्यक्ष बनाया गया है, जिससे उनकी हैसियत को कम करने की बात कही जा रही है. पार्टी सूत्रों के अनुसार, यह कदम विद्रोह को नियंत्रित करने और संगठन को मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा है.
कुर्मी वोट बैंक पार्टी का मजबूत आधार
अपना दल (एस) उत्तर प्रदेश में कुर्मी और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) समुदायों के बीच मजबूत आधार रखता है. 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 12 सीटें जीती थीं, जो उसका अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था. वहीं, 2024 के लोकसभा चुनाव में अनुप्रिया पटेल ने मिर्जापुर सीट को 37,000 से अधिक मतों के अंतर से बरकरार रखा, हालांकि पार्टी रॉबर्ट्सगंज सीट हार गई. इस विद्रोह ने 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले अनुप्रिया पटेल और बीजेपी-एनडीए गठबंधन के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं. कुर्मी समाज में नेतृत्व को लेकर यह सियासी हलचल अनुप्रिया की पार्टी की एकता और एनडीए में उनकी स्थिति पर सवाल उठा रही है. कुछ कार्यकर्ताओं ने अनुप्रिया और आशीष पटेल पर परिवारवाद और कार्यकर्ताओं की अनदेखी के आरोप लगाए हैं, जिससे पार्टी के सामने आंतरिक संकट और गहरा गया है. अनुप्रिया ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि उनकी पार्टी के खिलाफ साजिश रची जा रही है, लेकिन वे पिछड़ों और वंचितों के लिए लड़ाई जारी रखेंगी.



