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सीजफायर के लिए राजी हुए ईरान और इजरायल, लेकिन सीजफायर के बाद भी ईरान का इजरायल पर फिर अटैक

संवाददाता

तेल अवीव। इजरायल और ईरान ने मंगलवार यानी 24 जून 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से प्रस्तावित युद्धविराम योजना को स्वीकार कर लिया है। इसके बाद 12 दिनों से जंग की आग में झुलस रहे मध्य पूर्व में अब शांति है।

ईरान ने मंगलवार तड़के इजरायल पर मिसाइल हमले किए, जिसमें 7 लोगों की मौत हुई, जबकि इजरायल ने सुबह से पहले ईरान के कई ठिकानों पर हवाई हमले किए। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि इजरायल ने ट्रंप के समन्वय में ईरान के साथ द्विपक्षीय युद्धविराम पर सहमति जताई है।

उन्होंने बताया कि इजरायल ने 12 दिनों के अभियान में अपने सभी युद्ध लक्ष्य हासिल कर लिए। इसमें ईरान के परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम का खतरा खत्म करना, ईरान की सैन्य नेतृत्व को नुकसान पहुंचाना, कई सरकारी ठिकानों को क्षति पहुंचाना शामिल है। नेतन्याहू ने चेतावनी दी कि युद्धविराम के किसी भी उल्लंघन का इजरायल कड़ा जवाब देगा।

अब ईरान-इजरायल की दुश्मनी खत्म होगी: ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीजफायर के बाद कहा कि उन्हें उम्मीद है कि तेहरान और यरुशलम के बीच घोषित युद्धविराम से दोनों देशों के बीच सभी सैन्य दुश्मनी खत्म हो जाएंगी। उन्होंने एनबीसी न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा, “मुझे लगता है कि युद्धविराम असीमित है। यह हमेशा के लिए जारी रहेगा।”

ट्रंप ने कहा कि उनका मानना है कि इजरायल और ईरान कभी भी एक दूसरे पर हमले नहीं करेंगे क्योंकि उन्हें उम्मीद है कि युद्धविराम हमेशा के लिए लागू रहेगा। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि युद्धविराम असीमित है। यह हमेशा के लिए जारी रहेगा।”

ट्रंप के सीजफायर एलान के बाद ईरान का इजरायल पर फिर अटैक; 7 की मौत

Iran Israel (1)

इजरायल की फौज ने मंगलवार को अपने नागरिकों को आगाह किया कि ईरान की तरफ से मिसाइलें (Israel Iran War) दागी गई हैं। इसके साथ यरुशलम और तेल अवीव में भी धमाकों की आवाज सुनी गई है। इसके अलावा ईरानी मिसाइल से बीरशेबा इमारत पर हमला हुआ है। इस हमले में कम से कम 7 लोगों की मौत हुई है और कई इजरायली घायल हुए हैं।

ये हमला उस वक्त हुआ जब इजरायल और ईरान के बीच जंग को रोकने की बातचीत (Israel Iran Ceasefire) का माहौल बन रहा था। लेकिन इस ताजा हमले ने दोनों मुल्कों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है।

इजरायल डिफेंस फोर्सेज ने बताया कि ईरान से मिसाइलें दागे जाने की वजह से देश भर में सायरन बजने लगे। ये हमला ईरानी समयानुसार सुबह 4 बजे के बाद हुआ। इससे पहले ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने कहा था कि अगर इजरायल अपना हवाई हमले बंद कर दे, तो ईरान भी जंग को रोक देगा।

ईरान के मिसाइल हमले से ठंडे बस्ते में चली जाएगी सीजफायर डील?

इजरायल की फौज ने अपने नागरिकों को हिदायत दी थी कि वो सुरक्षित ठिकानों पर चले जाएं। ताजा हमले की वजह से सीजफायर को लेकर चल रही बातचीत पर सवालिया निशान लगा दिया है। ईरान और इजरायल के बीच पहले से ही तनाव चरम पर है।

ईरानी विदेश मंत्री के बयान के बाद उम्मीद थी कि शायद जंग टल जाए। मगर इस मिसाइल हमले ने हालात को और पेचीदा कर दिया है। इजरायल की सेना ने कहा कि वो हर तरह के हमले का जवाब देने के लिए तैयार है।

इस्लामिक देशों ने भले ही न दिया हो ईरान का साथ, लेकिन इजराइल को दहलाकर मुसलमानों के हीरो बन गए खामेनेई

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार तड़के ऐलान किया कि इजराइल और ईरान युद्ध में दोनों पक्ष सीजफायर के लिए मान गए हैं. ये ऐलान कतर में अमेरिकी अल उदीद एयरबेस पर ईरान के हमले के कुछ घंटो बाद किया गया. भले ही ईरान का ये हमला सांकेतिक था, लेकिन ईरान ने इसके जरिए अमेरिका को साफ कर दिया कि वह ट्रंप और नेतन्याहू की धमकी से डरने वाले नहीं है.

इजराइल के वजूद के बाद से ये पहली जंग थी, जिसमें इतने बड़े पैमाने पर इजराइली शहरों पर हमले हुए. 86 साल की उम्र में पहुंच चुके सुप्रीम लीडर अली खामेनेई ने अपनी हत्या के खतरे के बाद भी ईरान के लोगों के सम्मान और संप्रभुता की रक्षा के लिए सरेंडर करने से इंकार कर दिया. साथ ही साफ किया कि ईरान के लोग फिलिस्तीन के लिए अपनी आखिरी सांस के तक लड़ते रहेंगे, जिसके बाद ईरान का सम्मान पूरी दुनिया के मुसलमानों में बढ़ गया है.

इस्लामिक देशों के साथ के बिना ही खामेनेई ने लिया लोहा

पिछले करीब 21 महीनों से जारी गाजा में इजराइली नरसंहार की सऊदी, कतर जैसे खाड़ी देशों ने सिर्फ निंदा ही कि है. लेकिन ईरान ने फिलिस्तीन के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर अटल रहते हुए शुरुआत से ही इजराइल की नाक में दम किया है.

ईरान एक शिया देश और फिलिस्तीन एक सुन्नी देश, लेकिन गाजा पर जब हमला हुआ ईरान सबसे पहले इजराइल के खिलाफ खड़ा हुआ. युद्ध की शुरुआत से ही ईरान की प्रॉक्सी हूती, हिजबुल्लाह जैसे संगठनों ने इजराइल की नाक में दम किया. वहीं जानकार मानते हैं कि हमास को भी ईरान सैन्य और आर्थिक सहायता देता है.

साथ ही अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी कूटनीतिक तरीके से ईरान ने फिलिस्तीन का मुद्दा उठाया. गाजा जगं के 2 साल पूरे होने से पहले ही इजराइल और अमेरिका की नजरों में ईरान खलने लगा. फिर इजराइल ने ईरान में अपने जासूसी नेटवर्क के जरिए ईरान के प्रमुख नेताओं और अधिकारियों की हत्याएं करानी शुरू की. फिर भी ईरान फिलिस्तीन के साथ देने से पीछे नहीं हटा.

सीधे जंग में आया ईरान

पीछे दो बार इजराइल ईरान में दूर से ही थोड़े बहुत संघर्ष देखने मिला, लेकिन 13 जून को इजराइल ने ईरान पर हमला बोल उसके कई सैन्य और परमाणु केंद्रों को निशाना बनाया, साथ ही करीब 30 अधिकारियों, वैज्ञानिकों की हत्याएं भी की.

इजराइल के इस हमले के बाद दोनों के बीच संघर्ष बढ़ गया और ईरान-इजराल के बीच लगातार 10 दिन तक हवाई हमले हुए, जिसमें ईरान के करीब 600 लोगों की जान गई वहीं इजराइल में भी लगभग 30 लोग मारे गए हैं.

अमेरिका से भी नहीं डरे खामेनेई

करीब एक हफ्ते तक चेतावनी देने के बाद शनिवार 21 जून की रात ईरान की तीन परमाणु साइट नतांज, फोर्डो, और इस्फहान पर अपने सबसे खतरनाक B-2 बॉम्बर से हमला बोल दिया. साथ ही ट्रंप ने ये भी धमकी दी कि हमें पता है कि खामेनेई कहा हैं और ईरान सरेंडर करे.

खामेनेई ने अपनी जान की परवाह किए अपने उत्तराधिकारी तय करते हुए देशवासियों से अपील की कि मेरी जान कुछ कीमत नहीं रखती, मेरे बाद ईरान को आपको इस्लामिक गणराज्य के लिए खड़े रखना है. साथ ही अमेरिकी हमले का जवाब देने का संकल्प लिया. मंगलवार तड़के ईरान ने वही किया जैसा कहा था और कतर में मौजूद अमेरिकी एयर बेस पर करीब 10 मिसाइलों से हमला किया और बताया कि हम अमेरिका के ठिकानों को भी निशाना बनाने में सक्षम है.

ईरान ने भी झुके अमेरिका और इजराइल को सीजफायर के लिए मजबूर किया है. जिसके बाद खामेनेई पूरी दुनिया में मुसलमानों के हीरो बन गए हैं.

 

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