
विशेष संवाददाता
नई दिल्ली। राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियां अंतिम चरण में पहुंच गई है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने तैयारियों की जानकारी देते हुए बताया कि राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान 3 जून से शुरू होगा। 5 जून को 7 मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।
मूर्तियां अयोध्या पहुंच चुकी हैं और मंदिरों में विराजमान कर दी गई है। इससे पहले 2 जून को सरयू तट से राम मंदिर तक भव्य कलश यात्रा भी निकाली जाएगी। प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान में अयोध्या व काशी के 101 आचार्य शामिल होंगे।
5 जून को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे। इसके अलावा 20 संत- धर्माचार्य, 15 गृहस्थ व ट्रस्ट के पदाधिकारी को भी आमंत्रित किया गया है। इस दौरान कोटा के शिव मंदिर में नर्मदेश्वर का शिवलिंग 31 मई को स्थापित कराया जाएगा। इसी दिन इसकी प्राण प्रतिष्ठा भी होगी।
यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत विशेष है। पूरे देश से संत-महात्मा, वैदिक आचार्य और श्रद्धालु इस महान अवसर का साक्षी बनने के लिए अयोध्या पहुंचेंगे।
द्वापर युग के शुभ मुहूर्त में की जाएगी प्राण प्रतिष्ठा
सनातन परंपरा में माने जाने वाले चार युगों में से द्वापर युग की शुरुआत ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मानी जाती है। संयोगवश यह तिथि इस वर्ष 5 जून को पड़ रही है। यही वह पावन दिन भी है जब गंगा माता ने धरती पर अवतार लिया था, जिसे हम गंगा दशहरा के रूप में मनाते हैं। राम मंदिर में होने जा रही राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा के लिए यही तिथि और समय चुना गया है और यह कोई साधारण संयोग नहीं है। इसके पीछे श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की गहरी सोच और धार्मिक दृष्टिकोण है। उन्होंने इस विशेष तिथि को लेकर शास्त्र सम्मत विचार-विमर्श किया और फिर इस मुहूर्त को तय किया गया। इससे पहले भी, जब 30 अप्रैल को जयपुर से लाई गई प्रतिमाओं को राम मंदिर परिसर में स्थापित करने के लिए लाया गया था, तब भी वह दिन अक्षय तृतीया का था जो कि अत्यंत शुभ और फलदायक माना जाता है। इन दोनों घटनाओं में शुभ तिथियों का चयन यह दर्शाता है कि हर चरण को धार्मिक परंपराओं, शास्त्रीय निर्देशों और गहरे अध्यात्मिक मंथन के बाद ही पूरा किया जा रहा है, जिससे राम मंदिर का हर कार्य दिव्यता और पवित्रता से परिपूर्ण हो।
पवित्र अनुष्ठान में 120 आचार्य भाग लेंगे
अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर धार्मिक आयोजन अत्यंत विधिपूर्वक और भव्य स्तर पर संपन्न किए जा रहे हैं। इस पवित्र अनुष्ठान में कुल 120 आचार्य भाग लेंगे, जिनमें से 100 आचार्य अयोध्या के होंगे और शेष काशी, प्रयाग सहित अन्य तीर्थस्थलों से आमंत्रित किए गए हैं। इस प्रतिष्ठा महायज्ञ का नेतृत्व पंडित प्रवीण शर्मा और इंद्रदेव आचार्य जैसे विद्वान आचार्य कर रहे हैं। 4 जून को मुख्य अनुष्ठानों में आवाहित देवताओं का पूजन, प्रतिमाओं का अन्नाधिवास, हवन, देव स्नान, प्रासाद स्थानापन्न (प्रसाद स्थापना), ग्राम प्रदक्षिणा, और सायं शैयाधिवास जैसे महत्वपूर्ण कर्मकांड संपन्न होंगे। 5 जून को, गंगा दशहरा के दिन, विशेष रूप से चुने गए अभिजीत मुहूर्त प्रातः 11:25 से प्रातः 11:40 तक) में, सिंह लग्न और सिंह नवांश जैसे शुभ संयोगों के बीच, राम दरबार सहित 8 मंदिरों की विधिवत प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।
इससे पहले, 31 मई को ही परकोटा के शिव मंदिर में शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा कर दी जाएगी क्योंकि उस दिन शिववास योग उपलब्ध है, जो शिव प्रतिष्ठा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। जहाँ बाकी देव विग्रह पहले से ही अपने स्थानों पर स्थापित हो चुके हैं, वहीं उनके अधिवास (जलाधिवास, अन्नाधिवास और शैयाधिवास) अब प्रतीकात्मक रूप से सम्पन्न किए जाएंगे। इसके अंतर्गत मूर्तियों को विधिपूर्वक सूत्रों से जोड़ा जाएगा, जिससे अधिवास की आध्यात्मिक ऊर्जा पूर्ण रूप से स्थापित हो सके। यह आयोजन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भारत की सनातन परंपरा, श्रद्धा और वैदिक विधि-विधान की समग्र अभिव्यक्ति है।