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दिल्लीवालों को मिलेगा सस्ता फ्लैट, डीडीए ने लॉन्‍च किया ‘अपना घर आवास योजना 2025’

विशेष संवाददाता

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में घर खरीदने का सपना देखने वालों के लिए एक सुनहरा अवसर फिर सामने आया है. दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा अपना घर आवास योजना 2025 के अंतर्गत 7500 फ्लैट्स की घोषणा की गई है. यह योजना 27 मई से शुरू हो रही है और खास बात ये है कि फ्लैट्स पहले आओ पहले पाओ के आधार पर आवंटित किए जाएंगे.

डीडीए के अनुसार इस योजना के तहत एक विस्तृत नोटिस जारी किया गया है, जिसमें फ्लैट्स की श्रेणियां, स्थान, कीमतें व प्रक्रिया से जुड़ी सभी जानकारी दी गई हैं. यह फ्लैट्स मुख्य रूप से सिरसपुर, लोकनायकपुरम व नरेला क्षेत्रों में स्थित हैं और इनमें ईडब्ल्यूएस (EWS), एलआईजी (LIG), एमआईजी (MIG) व एचआईजी (HIG) कैटेगरी के फ्लैट्स शामिल हैं.

प्रक्रिया को डिजिटल व पारदर्शी बनाया गया

डीडीए के अधिकारियों का कहना है कि इस बार प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल व पारदर्शी बनाया गया है. फ्लैट्स की बुकिंग डीडीए की वेबसाइट के जरिए की जा सकेगी. इच्छुक खरीदार अपने घर बैठे आवेदन कर सकेंगे. भुगतान की प्रक्रिया ऑनलाइन होगी. सभी दस्तावेज भी डिजिटल रूप में जमा होंगे. इस योजना को लेकर डीडीए ने तकनीकी सहयोग के लिए एक नया पोर्टल विकसित किया है. इसमें होम लोन, प्रॉपर्टी डिटेल्स, फोटो व वीडियो टूर जैसी सुविधाएं एक ही जगह पर उपलब्ध मिलेंगी. इससे खरीददारों को निर्णय लेने में आसानी होगी. वे फ्लैट्स का आभासी अनुभव भी ले सकेंगे.

अधिकारियों के अनुसार, डीडीए द्वारा अगले दो वर्षों में लगभग 1371 एकड़ जमीन पर आवासीय परियोजनाएं विकसित की जाएंगी. इनमें किफायती दरों पर मकान उपलब्ध कराए जाएंगे. योजना का उद्देश्य दिल्ली में मध्यम व निम्न आय वर्ग के लोगों को सस्ती और सुविधाजनक आवास उपलब्ध कराना है.

इसलिए डीडीए के फ्लैट्स नहीं खरीद रहे लोग

दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा उन्हीं प्लेटों को बेचने के लिए बार-बार प्रयास किया जा रहा है, लेकिन लोग डीडीए के फ्लैट्स नहीं खरीदना चाह रहे हैं. इसके पीछे क्या वहज है? शहरी मामलों के जानकार जगदीश ममगाई बताते हैं कि डीडीए द्वारा बनाए गए फ्लैट्स की गुणवत्ता बहुत ही खराब है. उनमें रहना खतरे से खाली नहीं है. प्लास्टर टूट कर गिर रहे हैं. ऐसे में लोगों को जान का खतरा सताता है. डीडीए द्वारा सिगनेचर अपार्टमेंट बनाया गया था, जिसमें दो-दो करोड़ रुपए खर्च कर लोगों ने फ्लैट खरीदा था. पांच साल में ही बिल्डिंग को जर्जर घोषित कर दिया गया. अब नौबत यह है कि डीडीए को फ्लैट खाली करवाना पड़ रहा है. इससे लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. यह मामला कोर्ट में भी चल रहा है. फ्लैटों की जर्जर हालत को देखते हुए डीडीए के फ्लैट्स नहीं खरीदना चाह रहे हैं. डीडीए को फ्लैटों के निर्माण में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों और ठेकेदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.

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