
विशेष संवाददाता
नई दिल्ली। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली के विभिन्न जेलों में बंद छह आजीवन कारावास की सजा पाए कैदियों की सजा माफ करने को मंजूरी दी है. एलजी सचिवालय से मिली जानकारी के मुताबिक दिल्ली सरकार के गृह मंत्रालय के तहत गठित सेंटेंस रिव्यू बोर्ड (सजा समीक्षा बोर्ड) की तरफ से की गई सिफारिश पर उपराज्यपाल ने यह निर्णय लिया है.
दिल्ली सरकार के गृह विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि, “भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 474 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना 24 अप्रैल को आयोजित अपनी बैठक में सेंटेंस रिव्यू बोर्ड की सिफारिश पर आजीवन कारावास की सजा पाए छह दोषियों की सजा की अवधि माफ करने का आदेश दिया है. इस आदेश के बाद दिल्ली के तिहाड़, रोहिणी और मंडोली जेलों के अधिकारियों को दोषियों द्वारा व्यक्तिगत बांड प्रस्तुत करने पर तत्काल रिहाई का निर्देश दिया गया है.
इसमें कहा गया है कि यदि दोषी की रिहाई की तारीख तक उसके संज्ञान में कोई रिपोर्ट लाई गई है, तो मामले को सेंटेंस रिव्यू बोर्ड को वापस भेजा जाना चाहिए. आदेश में कहा गया है कि जिन दोषियों की सजा माफ की गई है, वे अगले 2-7 वर्षों में 20 साल की सजा पूरी करेंगे. सेंटेंस रिव्यू बोर्ड की अध्यक्षता दिल्ली के गृह मंत्री करते हैं. इस मीटिंग में सेंटेंस रिव्यू बोर्ड के अन्य सदस्य, अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह), महानिदेशक (जेल), प्रधान सचिव (कानून), प्रधान जिला न्यायाधीश, स्पेशल कमिश्नर (पुलिस) एवं निदेशक (समाज कल्याण) भी शामिल हुए थे.
दिल्ली के गृह विभाग के मंत्री आशीष सूद का कहना है; ”सेंटेंस रिव्यू बोर्ड ने न्याय और पुनर्वास के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए, प्रत्येक मामले को उसके इंडिविजुअल मेरिट के आधार पर गहनता से विचार किया है. वैसे कैदी जिनमें कारावास के दौरान वास्तविक सुधार और पश्चाताप दिखा है, उनकी समयपूर्व रिहाई के द्वारा हम उन्हें समाज की मुख्यधारा से जुड़ने का एक और मौक़ा देना चाहते हैं. इसके साथ ही इससे जेल पर बोझ को कम करने में भी मदद मिलेगी.”
दिल्ली की तिहाड़ जेल में क्षमता से अधिक कैदी इस समय हैं. दिल्ली के तिहाड़ जेल की कुल क्षमता 10 हज़ार है जबकि वर्तमान में 19,500 कैदी रह रहे हैं. वर्ष 2020 में कोरोना महामारी के समय में यहां पर सोशल डिस्टेंसिंग की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई थी और जेल में भीड़ कम करने के लिए करीब चार हजार कैदियों को पैरोल पर छोड़ना पड़ा था. बता दें कि इससे पहले सितंबर 2024 में सेंटेंस रिव्यू बोर्ड की बैठक हुई थी. तब तत्कालीन आम आदमी पार्टी सरकार ने बोर्ड मीटिंग के बाद 14 दोषियों की समयपूर्व रिहाई की उपराज्यपाल से सिफारिश की थी.



