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अब आतंकियों के आगे नाक रगड़ेंगे शहबाज शरीफ, असीम मुनीर के नापाक मंसूबे से ऐतिहासिक बर्बादी की ओर पाकिस्तान

विशेष संवाददाता

नई दिल्ली। पाकिस्तान का भविष्य अब उसके हाथों में है। भारत ने दो टूक संदेश दे दिया है कि उसे आतंकवाद चुनना है या फिर चार दशकों की अपनी इस स्टेट पॉलिसी को छोड़कर तरक्की के रास्ते पर बढ़ना है। भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान की सरकार, उसकी सेना और वहां की जनता के साथ ही पूरी दुनिया को स्पष्ट शब्दों में बता दिया है कि पाकिस्तान का आगे क्या होना है, यह उसी के रवैए पर निर्भर है। भारत की शर्त स्पष्ट है कि आतंकवाद से किसी भी सूरत में समझौता नहीं होगा। मतलब, अब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को मुल्क बचाना है तो उनके पास आतंकियों के आगे नाक रगड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। लेकिन, यह भी बड़ा सवाल है कि क्या जनरल असीम मुनीर पाकिस्तान को आतंकवाद से पीछा छुड़ाने देने के लिए तैयार होंगे?

आतंकवाद पर भारत की ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नीति

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर पर राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में जो कुछ कहा है, उससे पाकिस्तान ही नहीं, पूरी दुनिया को संदेश चला गया है कि आतंकवाद के मुद्दे पर अब भारत कोई समझौता नहीं करने जा रहा। उनके संबोधन का लब्बोलुआब ये है कि भविष्य में कोई भी आतंकी हमला, पूर्ण युद्ध को अंजाम देगा। ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ अभी शर्तों के साथ स्थगित हुआ है और पाकिस्तान का भविष्य भारत ने अब उसी के हाथों में दे दिया है। उसे ही तय करना है कि आतंकवाद से पिंड छुड़ाना है, या फिर मुल्क को पूरी तरह से तबाह करवाना है। अब पाकिस्तान के साथ भारत सिर्फ आतंकवाद और पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर (PoK) पर बात करेगा। भारत ने पाकिस्तान के साथ-साथ अमेरिका और दुनिया के अन्य मुल्कों भी बता दिया है कि आतंकवाद और बातचीत, आतंकवाद और व्यापार, किसी भी कीमत पर साथ-साथ नहीं चलेगा। इसी तरह से खून और पानी भी साथ-साथ नहीं बहेगा।

‘किसी भी पीएम को इतना दमदार संबोधन नहीं सुना’

जम्मू और कश्मीर के पूर्व डीजीपी एसपी वैद्य ने न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए अपनी प्रतिक्रिया में कहा है, ’34-35 साल की अपनी सेवा में मैंने किसी भी प्रधानमंत्री का इतना दमदार संबोधन नहीं सुना है। मुझे लगता है कि देश को धन्यवाद देना चाहिए कि ऐसे प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश पूरी तरह से सुरक्षित है। उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ रुका है, यह खत्म नहीं हुआ है। यह लड़ाई आतंकवाद के खात्मे तक जारी रहेगी। उन्होंने यह भी कहा दिया है कि भारत, पाकिस्तान के न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग को बर्दाश्त नहीं करेगा, जो कि पिछले कुछ समय से वह कर रहा है। उन्होंने यह भी साफ कर दिया है कि आतंकवाद को पाकिस्तान सरकार और पाकिस्तानी आर्मी से मिल रहे समर्थन और आतंकी संगठनों में भी भेद नहीं करेंगे। हम दोनों को एक ही तरह से देखेंगे।…उन्होंने साफ किया है कि आतंकवाद की कोई वारदात को युद्ध की कार्रवाई मानी जाएगी….।’

आतंकियों के आगे नाक रगड़ेंगे शहबाज शरीफ !

पहलगाम हमले के बाद भारत ने जो तत्कालिक व्यापारिक, कूटनीतिक और रणनीतिक कदम उठाए, उसमें सिंधु समझौते पर ब्रेक और कारोबारी रिश्ते को ठंडे बस्ते में डालना शामिल है। मतलब, ऑपरेशन सिंदूर तो रुका है, लेकिन भारत अपने इन फैसलों में किसी तरह की ढिलाई के लिए तैयार नहीं है। मतलब, पाकिस्तान की कृषि से लेकर उसकी अर्थव्यवस्था तक अब दबाव में रहने वाली है। ऊपर से डर इस बात का कि अगर जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा या अन्य किसी आतंकी संगठन ने भारत में कोई वारदात कर डाला तो पाकिस्तान पर भारत की ओर से सैन्य कार्रवाई का खौफ मंडराता रहेगा। ऐसे में पाकिस्तान को बचाने का पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के पास एक ही रास्ता है कि जैश और लश्कर जैसे आतंकी संगठनों के सरगनाओं से गुहार लगाएं कि वह अब भारत में कोई नई जुर्रत न कर दें, जिससे पाकिस्तान का दुनिया के नक्शे से मिटने की नौबत आ जाए।

असीम मुनीर की वजह से खतरे में पड़ेगा पाकिस्तान

लेकिन, सबसे बड़ा सवाल है कि पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल असीम मुनीर कभी पाकिस्तानियों को सुकून से जीने देने के लिए तैयार होंगे? सिंधु जल संधि रुकने की वजह से पाकिस्तान की ओर बहने वाली नदी और नहर पहले ही भारत की इच्छा के मोहताज हो चुके हैं। पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि वह कर्ज चुकाने के लिए कर्ज पर कर्ज लिए जा रहा है। पाकिस्तान की आर्थिक राजधानी कराची की गर्दन अब भारतीय सशस्त्र सेना के हाथों में है, लेकिन मुनीर की कारगुजारियां खत्म नहीं हो रही हैं। पहले उन्होंने अपनी कट्टरपंथी इस्लामी सोच की वजह से पहलगाम में आतंकी हमले को अंजाम दिलवाया और ऑपरेशन सिंदूर में भारत से अपनी सेना और सैन्य ठिकानों को बुरी तरह से पिटवा दिया। अब उनकी सेना के जरनल फिर से मुल्लाओं वाली ही जुबान बोलने लगे हैं और आतंकियों वाली सोच के साथ काम कर रहे हैं।

पाकिस्तान की ऐतिहासिक बर्बादी के बचे कितने दिन?

असीम मुनीर के एक जनरल ने अब कहा है कि उनके लिए इस्लाम सिर्फ आस्था नहीं है, बल्कि उनकी सेना की ट्रेनिंग का अटूट हिस्सा है। एक प्रेस कांफ्रेंस में DG-ISPR लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ से एक सवाल पूछा गया था कि क्या पाकिस्तान आर्मी का ऑपरेशन, ‘Bunyanum Marsoos’ और भारतीय नागरिकों और सैन्य ठिकानों पर सुबह-सुबह किए गए हमले अल्लाह के दिखाए रास्ते पर चलते हुए किए गए? इसके जवाब में उन्होंने कहा, ‘इस्लाम न केवल सैनिकों के व्यक्तिगत विश्वास का अभिन्न है, बल्कि सेना के प्रशिक्षण का भी हिस्सा है।’ इस तरह की मानसिकता से तो यही लग रहा है कि पाकिस्तान के लिए आतंकवाद की अपनी राष्ट्रीय नीति से पीछा छुड़ाना मुश्किल है, जिसकी वजह से यह देश असीम मुनीर के रहते ऐतिहासिक तबाही की ओर बढ़ चला है; और प्रश्न सिर्फ यही रह गया है कि यह स्थिति कब आती है?

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