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रिटायरमेंट के दिन CJI संजीव खन्ना का बड़ा बयान- सर्विस के बाद कोई पद नहीं लूंगा, कई यादें लेकर जा रहा हूँ

विशेष संवाददाता

नई दिल्ली। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिन आज एक बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि रिटायरमेंट के बाद वह कोई पद नहीं लेंगे। उन्होंने साथ ही कहा कि मैं पूरी तरह अभिभूत हूं। मैं बहुत सारी यादें लेकर जा रहा हूं। सीजेआई खन्ना ने कहा किऔर ये स्मृतियां बहुत सुंदर हैं, जो जीवनभर साथ रहेंगी।

चीफ जस्टिस का बड़ा बयान

चीफ जस्टिस ने कहा कि एक बार जब आप वकील होते हैं, तो आप हमेशा वकील रहते हैं। न्यायपालिका में जो जनविश्वास होता है, वह थोपकर नहीं पाया जा सकता। उसे अर्जित करना पड़ता है। हम इसे बार और बेंच के सदस्यों के माध्यम से अर्जित करते हैं। ‘ज्यूडिशियरी’ शब्द का अर्थ केवल जज नहीं है, यह बार और बेंच दोनों को शामिल करता है। आप (बार) इस प्रणाली पर नजर रखने वाली अंतर्निहित शक्ति हैं। आप इस व्यवस्था की अंतरात्मा हैं। अपने उत्तराधिकारी के बारे में, उन्होंने कहा कि जस्टिस बीआर गवई एक उत्कृष्ट मुख्य न्यायाधीश होंगे जो संस्थान की गरिमा, मौलिक अधिकारों और कानून के बुनियादी सिद्धांतों को बनाए रखेंगे। अपने कार्यकाल के आखिरी दिन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना के साथ जस्टिस बीआर गवई भी बेंच में बैठे थे।

रिटायरमेंट के बाद क्या करेंगे जस्टिस खन्ना ने बताया

मीडिया कर्मियों से अनौपचारिक बातचीत में एनबीटी के पूछे गए सवाल पर चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि मैं सेवानिवृत्ति के बाद कोई पद स्वीकार नहीं करूंगा लेकिन संभवतः कानून के क्षेत्र में कुछ करूंगा। यशवंत वर्मा विवाद के मामले में जब पूछा गया कि उस विवाद के वक्त आपके मन में क्या चल रहा था। तब उन्होंने कहा कि न्यायिक सोच को निर्णायक और न्याय निर्णायक होना चाहिए। हम किसी भी मुद्दे के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं को देखते हैं और फिर तर्कसंगत रूप से निर्णय लेते हैं। जब हम ऐसा करते हैं, तो हम निर्णय लेते हैं। फिर भविष्य ही बताता है कि जो निर्णय लिया वह कैसा था। अपने चाचा जस्टिस एसआर खन्ना को याद करते हुए कहा कि उनके केशवानंद भारती जजमेंट और एडीएम जबलपुर का फैसला हुए 40-45 साल हो चुके लेकिन अभी भी हर मुद्दे पर याद किया जाता है और प्रासंगिक है।

अटॉर्नी जनरल ने की तारीफ

इस माके पर भारत के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने जस्टिस खन्ना के निर्णयों की स्पष्टता और सरलता की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने स्वतंत्रता और संस्थागत अखंडता को बनाए रखने का भरपूर प्रयास किया। वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उनके संक्षिप्त लेकिन सटीक निर्णयों और सभी को धैर्यपूर्वक सुनने की उनकी प्रवृत्ति की प्रशंसा की और कहा कि जस्टिस खन्ना आज अपने चाचा जस्टिस एच.आर. खन्ना को गर्व दे रहे हैं। सीनियर वकील और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने कहा कि जस्टिस खन्ना ने जस्टिस एच.आर. खन्ना की विरासत को आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा, ‘कानून की कोई भी शाखा ऐसी नहीं है जिसमें आपकी सोच की स्पष्टता इस ओर से बेंच तक स्पष्ट न दिखी हो। सीनियर वकील दुष्यंत दवे ने क्रिकेट का उदाहरण देते हुए कहा कि आपने संस्थान का नेतृत्व एक बेहतरीन ऑलराउंडर की तरह किया हाथ में संविधान लेकर बल्लेबाजी, मौलिक अधिकारों के साथ फील्डिंग और न्याय के इरादे से गेंदबाजी। उन्होंने कहा कि जस्टिस खन्ना ने प्रशासनिक और न्यायिक दोनों पक्षों पर संस्थान को मजबूत किया।

14 मई को बतौर नए चीफ जस्टिस शपथ लेने वाले जज गवई ने जस्टिस खन्ना को कोर्ट में एक सज्जन व्यक्ति बताया और कहा कि उनके निर्णयों में सोच की स्पष्टता और मानवाधिकारों के प्रति संवेदनशीलता दिखती है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के जजों की संपत्तियों को सार्वजनिक करने के फैसले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह जस्टिस खन्ना की पारदर्शिता के प्रति रुचि को दर्शाता है।उनका विनम्र और शांत स्वभाव हमेशा अलग नजर आता रहा। जस्टिस संजय कुमार, जो अक्सर जस्टिस खन्ना के साथ पीठ में बैठते थे, ने उनकी तेज स्मरणशक्ति और अदालत में उनके अटूट धैर्य की सराहना की। उन्होंने कहा कि मैंने देखा कि जब अधिवक्ता तैयारी के बिना आते हैं, तो भी वे कभी नाराज नहीं होते।

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