
विशेष संवाददाता
नई दिल्ली। भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ने की आशंका के बीच शुक्रवार सुबह केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की बैठक ली थी. बैठक के बाद केंद्र सरकार के सभी बड़े अस्पतालों एम्स, सफदरजंग और आरएमएल में सभी डाक्टरों, नर्सिंग कर्मचारियों व पैरामेडिकल स्टाफ की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं. इससे एक दिन पहले ही दिल्ली सरकार ने भी अपने सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर थीं.
माना जा रहा है कि केंद्र सरकार के अन्य विभागों के भी अधिकारियों कर्मचारियों की छुट्टियां आगामी दिनों में रद्द हो सकती हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से निर्देश मिलने के बाद सफदरजंग अस्पताल, मौलाना आजाद मेडिकल कालेज (एमएएमसी) से जुड़े लोकनायक, जीबी पंत सुपर स्पेशियलिटी व युनिवर्सिटी कालेज आफ मेडिकल साइंस (एमएएमसी) से जुड़े जीटीबी अस्पताल में गर्मी की छुट्टी पर गए डाक्टर ड्यूटी पर वापस बुला लिए गए हैं. एम्स ने भी शुक्रवार देर शाम को डाक्टरों, नर्सिंग व पैरामेडिकल कर्मचारियों की छुट्टियां रद करने का आदेश जारी कर दिया.
एम्स में प्रस्तावित थीं डॉक्टरों की दो महीने की वार्षिक छुट्टियां: दरअसल, एम्स में नियमानुसार 16 मई से 15 जुलाई तक दो माह के लिए गर्मी की वार्षिक छुट्टियां हर साल की तरह इस साल भी प्रस्तावित थीं. एम्स में गर्मी की छुट्टी होने पर दो चरणों में फैकल्टी स्तर के 50-50 प्रतिशत डाक्टर एक-एक माह के लिए अवकाश पर रहते हैं. एम्स द्वारा जारी आदेश में मेडिकल अवकाश के अलावा अन्य हर तरह के अवकाश रद्द कर दिए गए हैं. इस वजह से फैकल्टी स्तर के डाक्टर इस बार गर्मी की छुट्टियां नहीं ले पाएंगे. आरएमएल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कालेज (एलएचएमसी), एमएएमसी व यूसीएमएस में फैकल्टी स्तर के डाक्टरों को 35-35 दिन का अवकाश मिलता है.
वर्धमान महावीर मेडिकल कालेज एवं सफदरजंग अस्पताल, एमएमसी से जुड़े लोकनायक व जीबी पंत सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में आठ अप्रैल से फैकल्टी स्तर के डाक्टरों की गर्मी की छुट्टियां शुरू हो गई थीं. इस वजह से पहले चरण में फैकल्टी स्तर के करीब 50 प्रतिशत डाक्टरों को 35 दिन का अवकाश दे दिया गया था. वहीं, यूसीएमएस से जुड़े जीटीबी अस्पताल में सात मई से छुट्टियां शुरू हो गई थीं. इस दौरान जो डॉक्टर छुट्टी पर चले गए थे उन्हें अब वापस ड्यूटी ज्वाइन करने के लिए कहा गया है. ताकि किसी भी आपात स्थिति में बेहतर चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकें. उल्लेखनीय है कि कोरोना संकट के दौरान अस्पतालों में छुट्टियां रद की गई थीं. इसके बाद अब डाक्टरों की छुट्टियां एक बार फिर से युद्ध जैसी आपात स्थिति को देखते हुए रद्द करने की घोषणा की गई है.



