
विशेष संवाददाता
नई दिल्ली । पानी की किल्लत से जूझ रही दिल्ली में गर्मी के मौसम में यूं ही हाहाकार मचा रहता है. इन दिनों पानी को लेकर पंजाब और हरियाणा सरकार के बीच उत्पन्न विवाद से दिल्ली सरकार के माथे पर भी चिंता की लकीरें दिखाई देने लगी है. .
दरअसल, पंजाब स्थित भाखड़ा बांध से पानी बंटवारे को लेकर हरियाणा और पंजाब के बीच विवाद से दिल्ली में भी पानी संकट होने के आसार हैं. इस आशंका को देखते हुए दो दिन पहले ही दिल्ली सरकार के जल मंत्री प्रवेश वर्मा ने अधिकारियों के साथ बैठक की और उन्होंने आम आदमी पार्टी शासित पंजाब सरकार को भी चेताया कि किसी भी लिहाज से दिल्ली को मिलने वाले पानी को रोकना ठीक नहीं होगा. बता दें कि पंजाब के पानी के मुद्दे को लेकर सोमवार को पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है. वहीं, हरियाणा सरकार ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है.
पंजाब के पानी को लेकर क्यों शुरू हुआ विवाद
गर्मी की शुरुआत होते ही पंजाब सरकार ने सतलुज नदी में पानी कम होने का हवाला देकर गत दिनों कहा था कि वह हरियाणा को पानी नहीं देंगे. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के इस बयान के बाद ही तुरंत इतना बवाल बढ़ा कि तुरंत हरियाणा सरकार तनाव में आ गई. क्योंकि समझौते के तहत पंजाब से सतलुज नदी से हरियाणा को प्रतिदिन 4000 क्यूसेक पानी देने की बात तय है.

हरियाणा की पानी की जरूरत पर केंद्र को लिखा पत्र
भाखड़ा बेस मैनेजमेंट बोर्ड ने केंद्र सरकार को एक पत्र लिखा है, जिसमें कहा है कि हरियाणा 8500 क्यूसेक पानी की मांग कर रहा है, जो इन परिस्थितियों में संभव नहीं है. हरियाणा अपने कोटे से 3.110 मिलियन एकड़ फीट (एमएएफ) पानी का इस्तेमाल कर रहा है, जो आवंटित कोटे की तुलना में करीब 103 प्रतिशत है. पंजाब सरकार ने इतना पानी देने से साफ इनकार कर दिया.
शुक्रवार को पानी प्रबंधन का काम देखने वाले भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) की दिल्ली में हुई बैठक में भी समझौते के अनुसार पानी देने पर सहमति नहीं बनी. जिसके बाद हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला लिया. जबकि पंजाब के पानी के मुद्दे को लेकर सोमवार को पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है. पंजाब के सीएम भगवंत मान ने कहा कि सभी पार्टियों के प्रतिनिधियों ने बहुत समझदारी और शांतिपूर्ण तरीके से पंजाब के हकों के लिए अपने-अपने सुझाव पेश किए, जिन पर विधानसभा सत्र में खुलकर विचार चर्चा की जाएगी.

पानी को लेकर हरियाणा-पंजाब के बीच विवाद से दिल्ली पर असर क्यों
भाखड़ा नांगल जल स्टोरेज बांध जिसकी देखरेख की जिम्मेदारी भाखड़ा बेस मैनेजमेंट बोर्ड के अधीन है इस बांध से हरियाणा, पंजाब और राजस्थान तीन राज्यों को पानी मिलता है. तीनों राज्यों के बीच पानी बटवारा मिलियन एकड़ फीट के अनुसार किया गया है. चालू वित्त वर्ष में भाखड़ा बांध से पंजाब को 5.512 एमएएफ, हरियाणा को 2.987 एमएएफ और राजस्थान को 3.318 एमएएफ पानी का बंटवारा किया गया है. पंजाब सरकार के हिसाब से हरियाणा को बांध से 4000 क्यूसेक पानी मिलना चाहिए. इसी पानी में से हरियाणा दिल्ली को 555 क्यूसेक (300 एमजीडी) पानी देता है. हरियाणा को अगर पर्याप्त पानी नहीं मिलेगा तो दिल्ली को मिलने वाले पानी में भी कटौती तय है.

पानी को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच लड़ाई दिल्ली कैसे पहुंचीं
दरअसल, मामला 23 अप्रैल को तब शुरू हुआ जब बीबीएमबी (भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड) तकनीकी कमिटी की बैठक में हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और दिल्ली के संबंध में फैसला लिया गया. शुक्रवार को दिल्ली में भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड के अधिकारियों की पंजाब और हरियाणा के मुख्य सचिव से मीटिंग में पानी देने को लेकर सहमति नहीं बनी. इस मीटिंग में पंजाब 4000 क्यूसेक पानी देने को ही तैयार हुआ. जबकि हरियाणा ने 8500 क्यूसेक पानी की मांग की.
इस बैठक के बाद ही हरियाणा के सिंचाई मंत्री श्रुति चौधरी ने स्पष्ट कहा कि पंजाब सरकार की ओर से भाखड़ा डैम की कंट्रोल रूम पर ताला लगाने और हरियाणा की मांग के अनुसार पानी नहीं दिए जाने पर अब हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी. इस फैसले से दिल्ली का भी गला सूख सकता है क्योंकि जल्दी मामले पर सहमति नहीं बनी तो दिल्ली में जल प्रबंधन बिगड़ना तय है.
दिल्ली में पानी किस-किस स्रोतों से आता है
दिल्ली जल बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली को यमुना से 310 एमजीडी (मिलियन गैलन प्रतिदिन), भाखड़ा बांध से 300 एमजीडी, उत्तर प्रदेश के मुरादनगर कैनाल (गंगा वॉटर) से 254 एमजीडी और 5800 ट्यूबवेल और रेनीवेल से 126 एमजीडी पानी अभी मिलता है. इन सभी स्रोतों को मिलाकर दिल्ली को रोजाना कुल 990 एमजीडी पानी मिलता है और यही पानी पूरे दिल्ली में सप्लाई किया जाता है.
दिल्ली के लिए क्या है चिंता की बात
मौजूदा हालात में दिल्ली की चिंता यह है कि पंजाब से मिलने वाला पानी यमुना नदी से ही हथिनीकुंड बैराज तक आता है. यहां से पानी मुनक नहर से होते हुए दिल्ली पहुंचता है. अगर भाखड़ा बेस मैनेजमेंट बोर्ड हरियाणा को पर्याप्त पानी नहीं देता है, तो दिल्ली में भी पानी की आपूर्ति प्रभावित होना तय है.
दिल्ली के इन इलाकों में सबसे अधिक रहती है पानी की किल्लत
- दिल्ली में साल दर साल गहराते जल संकट का एक कारण यहां की जनसंख्या में बढ़ोतरी भी है.
- दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में स्थित अनधिकृत कॉलोनियों, में आबादी बहुत तेजी से बढ़ी है. लेकिन सरकार भी जानती है कि इसे आबादी को दोष नहीं दिया जा सकता.
- दिल्ली की मौजूदा कॉलोनियों व वहां रहने वाली आबादी तक पीने का पानी पहुंचाने के लिए प्रतिदिन लगभग 1,200 एमजीडी (मिलियन गैलन पर डे) पानी की आवश्यकता होती है,
- जबकि दिल्ली जल बोर्ड प्रतिदिन लगभग 990 एमजीडी पानी की आपूर्ति करता है.
- 1200 एमजीडी पानी आपूर्ति करने के संबंध में पिछली सरकार बार-बार बातें तो करती है लेकिन अभी तक यह संभव नहीं हो पाया है.
पानी की आपूर्ति कैसे बढ़ा सकती है दिल्ली
दिल्ली में यमुना पार का जो पूर्वी दिल्ली और उत्तर-पूर्वी दिल्ली का इलाका है, यहां पर जैसे ही गड्ढा खोदा जाता है, वहां पानी निकल आता है. 4-5 फुट पर पानी निकलता है. यह पूरी ट्रांस यमुना पानी पर बैठी है. लेकिन दिक्कत यह है कि वह पानी गंदा है. उसमें अमोनिया है, वह खारा पानी है, उसमें नमक बहुत ज्यादा है. तो इस पर प्रयोग कर पानी से अमोनिया खत्म करने के लिए बाहर से डी-अमोनाइजेशन प्लांट लगाया जाए और पानी की हार्डनेस खत्म करने के लिए आरओ प्लांट लगा दिए जाएं तो उसके बाद पानी बिल्कुल साफ और पीने लायक हो जाएगा. दिल्ली जल बोर्ड ने करीब 2500 ट्यूब वेल बनाने का प्लान बनाया है. ढाई हजार ट्यूब वेल लगाकर यमुना पार से 200 एमजीडी पानी की आपूर्ति की जा सकती है.
पंजाब से पानी विवाद पर क्या है दिल्ली सरकार का पक्ष
पंजाब के हरियाणा-दिल्ली को पानी ना देने के विवाद पर मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का कहना है कि पानी का कोई संकट हम दिल्ली पर नहीं आने देंगे. दिल्ली के जल मंत्री प्रवेश वर्मा का कहना है कि पंजाब सरकार हरियाणा और दिल्ली का पानी रोककर गंदी राजनीति पर उतर आई है. दिल्ली में हारने के बाद अब दिल्ली में जल संकट पैदा करना चाहते हैं. हम दिल्ली में साफ़ और हर घर में पानी देने के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं और अब पंजाब सरकार दिल्ली की जनता से ऐसे बदला लेना चाहती है.
पंजाब द्वारा पानी रोकने के फैसले पर क्या है आम आदमी पार्टी की प्रतिक्रिया?
आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया ने कहा कि केंद्र ने एक बार फिर पंजाब के किसानों के साथ धोखा किया है. पंजाब के लोग अपने हक पर डाका डालने वालों को कभी माफ़ नहीं करेंगे. मुख्यमंत्री भगवंत मान सरकार ने साफ़ कहा है, पंजाब का पानी, सिर्फ़ पंजाब के लिए रहेगा. एक बूंद भी नहीं देंगे. वहीं, आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज का कहना है कि जब केंद्र सरकार ने सिंधु जल संधि को रोक कर पूरे पाकिस्तान का पानी रोक दिया है तो भारत के पास पानी ही पानी है, उसमें से एक फीसदी पानी भी अगर भारत सरकार दिल्ली को दे देती है तो दिल्ली की पानी की समस्या दूर हो जाएगी. जब हम कहते थे कि हरियाणा से पानी नहीं आ रहा है तो भाजपा और उपराज्यपाल कहते थे कि पानी बहुत है. लेकिन प्रशासन को पानी का बंटवारा करना नहीं आता, आप को सरकार चलानी नहीं आती. अब भाजपा सरकार चलाए.