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बेनकाब हुआ पाकिस्तान, हमले से पहले आतंकियों ने ISI से किया था कॉन्टेक्ट; एनआईए की जांच रिपोर्ट में खुलासा

विशेष संवाददाता

श्रीनगर । पहलगाम नरसंहार के षड्यंत्र और इसमें पाकिस्तान की भूमिका को पूरी तरह उजागर करने के लिए सुरक्षा व जांच एजेंसियां हमले में लिप्त आतंकियों को यथासंभव जिंदा पकड़ने पर जोर दे रही हैं।

इस बीच, एनआईए ने अभी तक मिले सबूतों और नरसंहार के प्रत्यक्षदर्शियों के दर्ज बयानों व संदिग्ध एवं पकड़े गए ओवरग्राउंड वर्करों से पूछताछ मिली जानकारी का आकलन शुरू कर दिया है।

अभी तक जुटाई गई जानकारी के आधार पर कहा जा रहा है कि नरसंहार से पहले और बाद में आतंकियों ने पाकिस्तान में बैठे अपने हैंडलरों के साथ संपर्क किया है।

आतंकियों द्वारा इस्तेमाल किए गए सैटलाइट फोन को ब्यौरा जुटाने के लिए विदेशी विशेषज्ञों की भी मदद ली जा रही है। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि यह हमला लश्कर-ए-तैयबा ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के इशारे पर ही किया है।

उल्लेखनीय है कि 22 अप्रैल को आतंकियों ने बैसरन पहलगाम में हमला किया, जिसमें 26 लोगों की मौत हो गई थी। मृतकों में 25 पर्यटक और एक स्थानीय घोड़ेवाला था। हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के हिट स्क्वॉड द रजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली, लेकिन बाद में टीआरएफ इससे मुकर गया। जांच एजेंसियों ने हमले में लिप्त पांच आतंकियों की पहचान कर ली है।

इनमें हाशिम मूसा समेत तीन पाकिस्तानी व आदिल और एहसान शेख नामक दो स्थानीय आतंकी शामिल हैं। आदिल व एहसान के मकान को सुरक्षा एजेंसियों ने गिरा दिया है। आदिल वर्ष 2018 में वीजा पर पाकिस्तान गया था और कहा जाता है कि वह दो वर्ष पहले ही वापस लौटा है।

30 KM के दायरे में छिपे हैं आतंकी

हमले में लिप्त आतंकियों के बारे में कहा जाता है कि वह पहलगाम 25-30 किलोमीटर के दायरे मे ही कहीं छिपे हुए हैं। वे इस क्षेत्र से बाहर निकलने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। उनके पाकिस्तानी हैंडलरों ने उन्हें इस इलाके से सुरक्षित बाहर निकालने के लिए कथित तौर पर अपने स्थानीय ओवरग्राउंड वर्कर नेटवर्क (OGW) से भी संपर्क किया है।

कहा जा रहा है कि सीमा पार बैठे लश्कर कमांडर और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI किसी भी तरह से हाशिम मूसा को इस इलाके से सुरक्षित निकालने का प्रयास कर रही है ताकि उसे पाकिस्तान में लाया जा सके।

सुरक्षा एजेंसियों को संदेह है कि अनंतनाग जिले के घने जंगल और प्राकृतिक गुफाएं आतंकवादियों को पनाह दे रही हैं। आतंकियों के आकाओं ने इस इलाके में अपने लिए कुछ सुरक्षित ठिकाने तैयार कर रखे हैं, जहां उन्होंने अपने लिए कम से कम 15-20 दिन का राशन भी जमा किया होगा। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, आतंकियों ने नरसंहार को अंजाम देने से पहले पूरे इलाके की रैकी की थी।

इन इलाकों में तलाशी अभियान तेज

बताया जा रहा है सुरक्षाबलों ने पहलगाम, बैसरन, लारनू, हपतगुंड, डुरूव उसके साथ सटे इलाकों में स्थित जंगलों और पहाड़ों में तलाशी अभियान चला रखा है।

सुरक्षा एजेंसियों का प्रयास है कि इन आतंकियों को यथासंभव जिंदा पकड़ा जा सके, ताकि जिस तरह से मुंबई हमले में कसाब के पकड़े जाने पर पाकिस्तान की हरकतों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिखाने में कामयाबी मिली थी, वैसा ही इस मामले में भी हो।

इसके अलावा सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि इन आतंकियों के जिंदा पकड़े जाने के बाद ही राजौरी-पुंछ, बोटापथरी और गगनगीर में हुए सुरक्षाबलों व आम नागरिकों पर हुए हमलो के षड्यंत्र, उनमें शामिल सभी स्थानीय मददगारों के अलावा यह भी पता चलेगा कि राजौरी-पुंछ से कश्मीर के भीतर तक इन आतंकियों का नेटवर्क कैसे काम कर रहा है।

सुरक्षाबलों के मुताबिक, एक ही आतंकी गुट के लिए हर जगह सेफ हाउस व अन्य साजो सामान को जुटाने के लिए एक संगठित और मजबूत नेटवर्क चाहिए जो आसान नहीं है।

इसके अलावा विगत 35 वर्ष के दौरान जम्मू कश्मीर में यह पहला मामला है जब एक ही आतंकी दस्ता प्रदेश के विभिन्न भागों में लगातार सुरक्षाबलों और नागरिों पर हमले कर बच निकल रहा है।

उन्होंने बताया कि इन आतंकियों के पकड़े जाने से ही पाकिस्तान में स्थित इनके ट्रेनिंग कैंप और ट्रेनिंग मॉड्यूल का पूरा ब्यौरा मिल सकेगा।

इन इलाकों पर खास नजर

संबधित अधिकारियों के अनुसार, सिर्फ अनंतनाग, कुलगाम और शोपियां में ही नहीं कुपवाड़ा, हंदवाड़ा, त्राल, पुलवामा, सोपोर, बारामूला, बडगाम और बांदीपोरा जैसे इलाकों में भी संदिग्ध तत्वों की निगरानी की जा रही है। उन्होंने बताया कि जांच एजेंसियों ने आतंकियो के 20 ओवरग्राउंड वर्करों को भी चिह्नित किया है, जिनकी जांच की जा रही है।

इनके अलावा जांच एजेंसियो ने गुरसई पुंछ के रहने वाले दो आतंकी ओवरग्राउंड वर्करों निसार अहमद उर्फ हाजी और मुश्ताक हुसैन से भी पूछताछ की जा रही हे।

यह दोनों अप्रैल 2023 में भाटा धूरियां तोता गली पुंछ में सैन्य दल पर हुए आतंकी हमले में लिप्त आतंकियों के मददगार रहे हैं। इन्होंने हमले में लिप्त आतंकियों को सुरक्षित ठिकाना उपलब्ध कराने के अलावा उनके लिए हथियारों का बंदोबस्त किया था।

यह उनके लिए गाइड का काम भी करते थे। जांच एजेंसियों के अनुसार, बैसरन पहलगाम नरसंहार को अंजाम देने वाले आतंकी और राजौरी-पुंछ में सैन्य दलों पर हमला करने वाले आतंकियो का दल एक ही है या फिर यह आतंकी गुलाम जम्मू कश्मीर में किसी एक ही आतंकी शीविर से निकले हैं।इसलिए मुश्ताक और निसार इनके बारे में कुछ अहम जानकारियां प्रदान कर सकते हैं। यह दोनों कोटभलवाल जेल में बंद हैं।

हमले से पहले कई बार की रैकी

उन्होंने बताया कि एनआइए ने बैसरन पहलगाम नरसंहार स्थल का चार बार जायजा लिया है। गत गुरूवार को एनआइए के महानिदेशक भी मौके पर गए थे। घटनास्थल की थ्रीडी मैपिंग की जा चुकी है।

नरसंहार स्थल से मिले 60 कारतूसों को फारेंसिक जांच के लिए भेजा गया है। पूरी वादी में 2600 संदिग्ध तत्वों से पूछताछ की जा चुकी है और 188 के करीब लोग अभी भी पूछताछ के लिए हिरासत में है।

पहलगाम में होटल ऑपरेटरों, टूरिस्ट गाइडों, बैसरन में घोड़े की सुविधा व अन्य सेवाएं प्रदान करने वालों से पूूछताछ के अलावा पहलगाम, एम्यूजमेट पार्क और बेताव वैली के आस पास लगे सभी सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की जांच की जा रही है।

डेटा खंगालने में जुटी एनआईए

पहलगाम और बैसरन में व इसके आस पास के इलाकोंमें 20 अप्रैल से सक्रिय रहे सभी मोबाइल फोन के डेटा की जांच हो रही है। सभी नंबरो को चिह्नित कर, उन्हें अलग अलग वर्गाें की बांट, कर उनके डेटा को खंगाला जा रहा है।

उन्होंने बताया कि बैसरन पार्क की तरफ जाने वाले रास्ते में या फिर बैसरन के आगे जंगल में कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं है। लेकिन आरू घाटी, एम्यूजमेंट पार्क पहलगाम और बेताव वैली में सीसीटीवी कैमरे हैं, इनकी भी जांच हा रही है।

आतंकियों ने इन तीन जगहों की भी रैकी की थी,लेकिन सुरक्षाबलों की मौजूदगी और पर्यटकों की भीड़ कम होने के कारण उन्हें यहं खूनी खेल नहीं खेला।

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