
विशेष संवाददाता
नई दिल्ली। दिल्ली सरकार की ‘देवी’ (दिल्ली इलेक्ट्रिक व्हीकल इंटरकनेक्टर) योजना के अंतर्गत 2 मई से 9 मीटर की इलेक्ट्रिक बसें सड़कों पर उतरी. दिल्ली के कुशक सेवा नगर स्थित कुशक नाला डीटीसी बस डिपो से केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के केंद्रीय राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा और परिवहन मंत्री पंकज सिंह इन बसों को हरी झंडी दिखायी. पहले इन बसों का उद्घाटन 22 अप्रैल को निर्धारित किया गया था, लेकिन भारत सरकार द्वारा पोप फ्रांसिस के निधन पर घोषित राष्ट्रीय शोक के कारण कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया था.
क्या है दिल्ली की देवी योजना?
करीब तीन साल पहले तत्कालीन आम आदमी पार्टी की सरकार के कार्यकाल में 9 मीटर की छोटी बसें दिल्ली की कॉलोनियों में चलाने की योजना बनाई गई थी. आम आदमी पार्टी इन बसों को मोहल्ला बस नाम से सड़कों पर उतारने की तैयारी भी कर रही थी. लेकिन सत्ता बदल गई. अब इन बसों को नई बीजेपी सरकार ‘देवी’ (DEVI) नाम से ब्रांडिंग कर सड़कों पर उतार रही है. दिल्ली के परिवहन मंत्री पंकज सिंह के मुताबिक इस पहल का मकसद दिल्ली में बसों में यात्रा करने वालों के अनुभव में सुधार करना है. बसों के अधिकांश रास्तों को पहले ही अंतिम रूप दिया जा चुका है. इन बसों में कॉमोबिलिटी कार्ड से भी यात्री टिकट ले सकेंगे. देवी योजना के तहत 400 इलेक्ट्रिक बसों का लोकार्पण होगा.
गाजीपुर डिपो से चलेंगी DEVI बसें
देवी पहल के तहत 2 मई को जो बसें सड़कों पर उतरेंगी, इनमें से अधिकांश बसें पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर डिपो से अलग-अलग रूटों पर चलाई जाएंगी. घर से पांच सौ मीटर की दूरी पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट उपलब्ध कराने की योजना के तहत ये मोहल्ला बसें चलेंगी. दिल्ली के परिवहन मंत्री के मुताबिक अगले कुछ दिनों में कुछ और छोटी बसें दिल्ली में चलनी शुरू होंगी और इनका बसों का रूट भी छोटा होगा.
छोटे इलाकों में नहीं पहुंचती थी बड़ी बसें
दिल्ली सरकार, दिल्ली की हर कॉलोनी से भले ही वह अवैध कॉलोनी हो, हर मोहल्ले से पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा देने की दिशा में काम कर रही है. इन बसों के संचालन से पहले रूटों का सर्वे कराया गया था. इस दौरान पाया गया कि संगम विहार, उत्तम नगर के आसपास की कॉलोनियां, बुराड़ी के आसपास की अवैध कॉलोनियां व क्लस्टर समेत अन्य कई इलाकों में बड़ी संख्या में पब्लिक रहती है. इन कॉलोनियों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे लोगों को कई किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता है. क्योंकि बड़ी बसें अंदर तक नहीं जा पाती हैं, उन्हें मुड़ने के लिए बड़ी जगह आवश्यकता होती है.
12 किलोमीटर होगा ‘देवी’ बसों का रूट
परिवहन मंत्री ने कहा कि इस समस्या को देखते हुए दावा किया गया था कि हम 500 मीटर के यादरे में एक न एक पब्लिक ट्रांसपोर्ट उपलब्ध कराएंगे. भले ही वह आटो, बस या मेट्रो हो. क्योंकि इंटरनेशनल मानको के अनुसार 500 मीटर चलने में कोई दिक्कत नहीं होती है. इन इलाकों में चलने वाली बसों का रूट 12 किलोमीटर का होगा.
दिल्ली में लास्ट माइल कनेक्टिविटी एक बड़ा मुद्दा है. सैकड़ों की तादाद में डीटीसी की बस स्टॉप व हजारों की संख्या में मेट्रो स्टेशन पर आने-जाने के लिए लोगों को आज भी अपने निजी वाहन का इस्तेमाल करना पड़ता है. दिल्ली देहात और अवैध कॉलोनी में सड़कें इतनी तंग है कि बड़ी बसें यहां आ-जा नहीं सकती हैं. ऐसे में डीटीसी की बसों का रूट निर्धारित नहीं किया गया है.



