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जेएनयूएसयू चुनाव में वामपंथियों का दबदबा; एबीवीपी ने 9 साल बाद संयुक्त सचिव पद हासिल किया

विशेष संवाददाता

नई दिल्ली। हाल ही में हुए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) चुनाव में वामपंथी उम्मीदवारों ने चार केंद्रीय पैनल पदों में से तीन पर जीत हासिल की, जिससे विश्वविद्यालय में उनका प्रभाव बना रहा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने संयुक्त सचिव पद जीतकर नौ साल के बाद कार्यालय में वापसी की।

ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) के नीतीश कुमार 1,702 वोटों के साथ अध्यक्ष चुने गए। उनके सबसे करीबी प्रतिद्वंद्वी, ABVP की शिखा स्वराज ने 1,430 वोट हासिल किए, जबकि स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) द्वारा समर्थित तैयबा अहमद को 918 वोट मिले। डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (DSF) की मनीषा ने 1,150 वोटों के साथ उपाध्यक्ष पद जीता, ABVP के नित्तू गौतम को पछाड़ दिया, जिन्हें 1,116 वोट मिले।

DSF ने ABVP के कुणाल राय को 1,406 वोट मिलने के बावजूद मुन्तहा फातिमा के 1,520 वोटों के साथ महासचिव पद पर भी दावा किया। ABVP के वैभव मीणा ने 1,518 वोटों के साथ संयुक्त सचिव पद जीता, AISA के नरेश कुमार और प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स एसोसिएशन (PSA) की उम्मीदवार निगम कुमारी को पीछे छोड़ दिया। राजनीतिक गतिशीलता इस चुनाव ने ABVP के लिए 2015-16 में सौरव शर्मा की जीत के बाद पहली केंद्रीय पैनल जीत दर्ज की। ABVP ने पिछली बार 2000-01 में संदीप महापात्रा के साथ अध्यक्ष पद जीता था। इस साल वामपंथी गठबंधन में विभाजन देखा गया; AISA और DSF ने एक ब्लॉक बनाया, जबकि SFI और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (AISF) ने बिरसा अम्बेडकर फुले स्टूडेंट्स एसोसिएशन (BAPSA) और PSA के साथ गठबंधन किया। ABVP ने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ा।

 

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