
विशेष संवाददाता
गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती में आरक्षण का लाभ हासिल करने के लिए बुलंदशहर के चार और मेरठ के एक अभ्यर्थी ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के फर्जी प्रमाण पत्र अपने शैक्षिक दस्तावेजों के साथ प्रस्तुत किए। जब प्रमाण पत्रों का सत्यापन कराने के लिए मेरठ और बुलंदशहर के जिलाधिकारी से रिपोर्ट मांगी गई, तब इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और दो अन्य की तलाश जारी है।
डीसीपी सिटी, राजेश कुमार सिंह ने बताया कि फर्जी स्वतंत्रता सेनानी आश्रित प्रमाणपत्र लगाने वालों में अर्जुन सिंह, प्रशांत कुमार, रूबी, और योगेंद्र जो सभी बुलंदशहर के निवासी हैं, और मेरठ का अरुण कुमार शामिल है। दोनों जिलों से जांच में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए। पुलिस ने प्रशांत, योगेंद्र, और अरुण को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि अर्जुन और कुमारी रूबी की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है।
डीसीपी ने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस आरक्षी नागरिक पुलिस भर्ती के दौरान सिविल लाइन में लगभग 23 हजार अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों की छानबीन की गई। कुछ अभ्यर्थियों ने आरक्षण का लाभ लेने के लिए खुद को स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रित बताकर फर्जी प्रमाण पत्र जमा किए। संदेह होने पर समीक्षा दल ने पांच स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के प्रमाण पत्रों की जांच कराई। यह जांच उन अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों की रिपोर्ट जिलाधिकारी बुलंदशहर से मांगी गई, जिसमें अर्जुन सिंह, प्रशांत कुमार (गांव सलेमपुर), कु. रूबी (शाहपुर कलां), और योगेंद्र कुमार (ग्राम कपना) शामिल थे।
इसी तरह, मेरठ के अरुण कुमार की रिपोर्ट भी मेरठ जिलाधिकारी से मांगी गई। दोनों जिलों से प्राप्त जांच रिपोर्ट में यह पुष्टि हुई कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी प्रमाण पत्र उन व्यक्तियों द्वारा जारी नहीं किए गए हैं। इसके बाद, पुलिस ने प्रशांत, योगेंद्र, और अरुण को गिरफ्तार कर लिया। अर्जुन और रूबी को भी जल्द ही पकड़ा जाएगा। डीसीपी ने बताया कि फर्जी प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने वाले सभी पांच आरोपियों के खिलाफ कविनगर थाने में जाली दस्तावेज बनाने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है।



