
विशेष संवाददाता
गाजियाबाद । सूचना अधिकार अधिनियम की अनदेखी करने पर जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) गाजियाबाद धर्मवीर शर्मा के खिलाफ कार्यवाही हुई है। राज्य सूचना आयुक्त वीरेंद्र प्रताप सिंह ने डीआईओएस पर सूचना न देने पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया और साथ ही मांगी गई सूचना भी उपलब्ध कराने के आदेश दिए हैं, ऐसा न करने पर सूचना आयोग की ओर से विभागीय कार्यवाही की संस्तुति किए जाने की चेतावनी दी गई है। सूचना आयुक्त ने मामले की सुनवाई के लिए 8 जनवरी, 2025 की तारीख दी है।
क्या है पूरा मामला
देशपाल सिंह ने 23 जुलाई, 2022 को सूचना अधिकार अधिनियम- 2005 के अंतर्गत डीआईओएस गाजियाबाद से जैन मति उजागरमल जैन इंटर कॉलेज कविनगर में अध्यापकों की नियुक्ति और मान्यता के संबंध में सूचना मांगी गई थी। आवेदक ने निर्धारित समयावधि में सूचना प्राप्त न होने पर अपील की और प्रथम अपील में भी कोई समाधान न प्राप्त होने पर राज्य सूचना आयोग में गए। 25 जून, 2024 को आयोग ने जन सूचना अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक, गाजियाबाद को अंतिम अवसर के रूप में 15 दिन का समय देते हुए वांछित सूचना उपलब्ध कराकर आयोग को आख्या प्रस्तुत करने के आदेश दिए थे और ऐसा न करने पर 25 हजार रुपये का आर्थिक दंड रोपित करने की चेतावनी दी गई थी। लेकिन जिला विद्यालय निरीक्षक के कान पर जूं नहीं रेंगी।
व्यक्तिगत रूप से तलब किया
अगली सुनवाई पर 20 सितंबर, 2024 तक भी सूचना उपलब्ध न कराने और कोई स्पष्टीकरण न दिए जाने पर सूचना आयुक्त वीरेंद्र प्रताप सिंह की अदालत ने डीआईओएस को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर जवाब दाखिल करने के आदेश दिए कि क्यों न उन पर 25 हजार रुपये का अर्थदंड रोपित कर दिया जाए। इस पर जिला विद्यालय निरीक्षक के द्वारा कोई संज्ञान नहीं लिया गया। ईमेल ट्रैकिंग सिस्टम से मिली जानकारी के मुताबिक 25 नवंबर, 2024 को ईमेल ट्रैकिंग से सूचना अधिकारी जिला विद्यालय निरीक्षक को संबंधित सूचना प्राप्त हो चुकी थी, लेकिन फिर 27 नवंबर, 2024 को वह सुनवाई के लिए न तो उपस्थित हुए और न ही नोटिस का कोई जवाब ही दिया।
विभागीय कार्यवाही की संस्तुति की भी चेतावनी
इस पर सूचना आयुक्त की अदालत ने डीआईओएस धर्मवीर शर्मा पर सूचना अधिकार अधिनियम की अनदेखी करने नोटिस के बाद भी कोई स्पष्टीकरण न दिए जाने पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया। साथ ही यह भी आदेश दिए कि जुर्माना राशि डीआईओएस धर्मवीर शर्मा के वेतन से चार बराबर किश्तों में वसूली जाएगी। इस संबंध में रजिस्ट्रार सूचना आयोग, लखनऊ को अर्थदंड की वसूली कर आख्या प्रस्तुत करने के आदेश दिए गए हैं। साथ ही 15 दिन में आवेदक को सूचना उपलब्ध न कराने पर विभागीय कार्यवाही की संस्तुति की चेतावनी भी दी गई है।



