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आपराधिक साजिश का बेवजह इस्तेमाल न करें जांच अधिकारी, ईडी डायरेक्टर ने क्यों लिखा लेटर?

विशेष संवाददाता

नई दिल्ली । प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपने अधिकारियों के लिए एक आंतरिक फरमान जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि जांच के दौरान बीएनएस की धारा 61 यानी आईपीसी 120बी का अधिकारी बेवजह इस्तेमाल करने से बचे. अधिकारियों के लिए जारी ईडी का यह फरमान सुर्खियों में है.

सूत्रों के मुताबिक ईडी के डायरेक्टर ने एजेंसी में तैनात जांच अधिकारियों से कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग के मामले दर्ज करने के लिए आपराधिक साजिश यानी कॉन्सपिरेसी का बेवजह इस्तेमाल ना करें. दरअसल, ईडी एक सेकंडरी एजेंसी है जो अपने दम पर कोई भी जांच अपने हाथ में नहीं ले सकती है.

ईडी अन्य एजेंसियों की FIR को ही आधार बनाकर अपनी ECIR दर्ज करती है और अपनी जांच को आगे बढ़ाती है. सूत्रो के मुताबिक ईडी डायरेक्टर ने अपने आदेश में कहा कि पीएमएलए यानी प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट अपने आप में काफी विस्तृत है, जिसमे करीब 150 क्लॉज़ है.

बड़ा सवाल- ईडी ने ऐसा आदेश क्यों दिया?

ईडी के इस आदेश के पीछे कोर्ट के हालिया फैसले हैं. हाल के दिनों मे आपराधिक साजिश (विधेयात्मक अपराध) को शामिल करने के कारण अदालतों में पीएमएलए के मामले नहीं टिक सके. एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तो यहां तक कह दिया कि 120B एक अकेला अपराध नहीं है और यह पीएमएलए लागू करने के लिए पर्याप्त नहीं है.

वहीं 2 मामलों से ईडी को बड़ा झटका लगा. इनमें एक केस कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार से जुड़ा है. मार्च 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के डिप्टी सीएम के खिलाफ ईडी के पीएमएलए मामले को रद्द कर दिया. क्योंकि ईडी का पीएमएलए मामला 2018 के आईटी के निष्कर्ष पर आधारित था.

ईडी ने आईपीसी की धारा 120B जोड़कर पीएमएलए का मामला दर्ज किया था. डीके शिवकुमार को सितंबर 2019 में गिरफ्तार किया गया था. हालांकि, शिवकुमार के खिलाफ सीबीआई से जुड़ा एक केस अभी भी है. यह केस 2020 में दर्ज किया गया था.

इसी तरह अप्रैल 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने अनिल टुटेजा और उनके बेटे यश टुटेजा के खिलाफ पीएमएलए मामले को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि कथित छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में कोई “अपराध की आय” नहीं है. हालाँकि, ईडी ने छत्तीसगढ़ में एक नई एफआईआर दर्ज की और बाद में टुटेजा को फिर से गिरफ्तार कर लिया. छत्तीसगढ़ एसीबी टुटेजा से पूछताछ कर रही थी तभी ईडी ने उन्हें समन भेजा और गिरफ्तार कर लिया.

इन दोनों ही मामलो में ईडी ने PMLA के साथ बीएनएस की धारा 61 का इस्तेमाल किया था लेकिन कोर्ट में ईडी इनके खिलाफ आपराधिक साजिश रचने जैसे आरोप साबित नहीं कर पाई थी.

ठीक इसी तरह हाल ही में दिल्ली आबकारी घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया समेत ज्यादातर आरोपियों पर बीएनएस 61 (पूर्व में 120 बी) का इस्तेमाल किया था, लेकिन जमानत के विरोध के समय जांच एजेंसी इसे साबित नहीं कर पाई और आबकारी घोटाले में जेल में बंद लगभग सभी आरोपी आरोपियो को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई.

सूत्रों की माने तो अगर तलाशी के दौरान उन्हें कोई अतिरिक्त सबूत मिलता है तो ईडी पीएमएलए की धारा 66(2) के तहत राज्य पुलिस के साथ भी जानकारी साझा कर रही है. राज्य पुलिस तब एफआईआर दर्ज कर सकती है और ईडी बाद में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज कर सकता है, यानी अब ईडी अन्य एजेंसियों के साथ पूरा सामंजस्य कायम कर मामलो की जांच कर रही है.

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