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गाजियाबाद में बसपा के राजपूत दांव से बीजेपी को हो सकता है बड़ा नुकसान

सुनील वर्मा

गाजियाबाद। बहुजन समाजवादी पार्टी कब क्या कर दें बड़े बड़े राजनीतिक पंडित भी इसका अनुमान नहीं लगा सकते। गाजियाबाद में उम्मीदवार को टिकट देने के 24 घंटे बाद ही पार्टी ने अपना उम्मीदवार बदल लिया है। बीएसपी ने पहले यहां से पंजाबी समुदाय के रियल स्टेट कारोबारी अंशय कालरा को उम्मीदवार बनाया था। लेकिन अब उनकी जगह राजपूत बिरादरी के नंदकिशोर पुंडीर को चुनावी मैदान में उतार दिया गया है। नंदकिशोर की पुंडीर यहां बीजेपी के उम्मीदवार अतुल गर्ग से होगा।

नंदकिशोर पुंडीर मूल रूप से मुजफ्फरनगर के रहने वाले हैं। मुजफ्फरन नगर से बसपा प्रत्याशी के रूप में टिकट मांग रहे थे लेकिन वहां बसपा ने इन्हें प्रत्याशी नहीं बनाया। अब बसपा ने इनको गाजियाबाद लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है। नंदकिशोर पुंडीर की पत्नी कविता पुंडीर मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर राष्ट्रवादी जनलोक पार्टी की उम्मीदवार है । इससे पहले बसपा ने मथुरा लोकसभा सीट से अपने पुराने घोषित प्रत्याशी को बदलते हुए नया प्रत्याशी घोषित किया था। यहाँ पार्टी ने पूर्व घोषित प्रत्याशी कमलकांत उपमन्यु की जगह बाबा कढे़रा सिंह स्कूल नगला अक्खा गोवर्धन के संचालक सुरेश सिंह को मथुरा लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है।

दरअसल, गाजियाबाद में उम्मीदवार बदलने का निर्णय पार्टी सुप्रीमों मायावती ने बहुत सोच समझकर लिया है और इससे सबसे बड़ी परेशानी बीजेपी उम्मीदवार अतुल गर्ग की होगी। क्यूंकि गाजियाबाद सीट राजपूत बहुल सीट हैं और अभी तक यहाँ ज्यादातर राजपूत समुदाय के उम्मीदवार ही जीतते रहे हैं। बीजेपी से भी पहले रमेश चंद तोमर 4 बार , राजनाथ सिंह 1 बार और जनरल वीके सिंह दो बार सांसद रहे ये सभी राजपूत बिरादरी के है। इस बार बीजेपी ने किसी राजपूत को टिकट न देकर वैश्य समुदाय से सदर सीट के विधायक अतुल गर्ग को मैदान में उतारा है जिस कारण राजपूत बिरादरी में बड़ी नाराजगी दिखाई पड़ रही है। कई राजपूत संगठनों ने इसका विरोध भी कर दिया है। राजपूत बिरादरी और उनसे जुड़े संगठनों के लिए अब करो या मरो की लड़ाई है। क्योंकि अगर बीजेपी से कोई गैर राजपूत चुनाव जीत्त जाता है तो भविष्य में यहाँ राजपूतों की दावेदारी खत्म हो जाएगी। बसपा ने ने राजपूत बिरादरी की बीजेपी से नाराजगी को भांपकर अंतिम वक्त में पंजाबी उम्मीदार का टिकट काटकर राजपूत उम्मीदवार नंदकिशोर पुंडीर को टिकट थमा दिया।

बता दें कि गाजियाबाद में पांच विधानसभा क्षेत्र हैं और जिले की आबादी 50 लाख से ज्यादा है। यहां की करीब 70 फीसदी आबादी हिंदू है जबकि करीब 25 फीसदी मुस्लिम आबादी है। दलित और मुस्लिम गाजियाबाद में काफी निर्णायक रहा है। जिले में ब्राह्मण, वैश्य, गुर्जर, ठाकुर, पंजाबी और यादव वोटर भी हैं. निर्णायक रहा है। गाजियाबाद में लगभग 5.5 लाख मुस्लिम, 4.7 लाख राजपूत, 4.5 लाख ब्राह्मण, 2.5 लाख बनिया, 4.5 लाख अनुसूचित जाति, 1.25 लाख जाट, एक लाख पंजाबी, 75 हजार त्यागी, 70 हजार गूजर और पांच लाख अन्य शहरी समुदाय के मतदाता हैं।

यहां मुस्लिम वोटर हमेशा ऐसे गैर बीजेपी उम्मीदवार को वोट करता है जो बीजेपी को मात दे सके। अगर बसपा उम्मीदवार नंदकिशोर पुंडीर को आधी राजपूत बिरादरी का भी साथ मिला गया तो और दलित मुस्लिम समाज ने उन्हें समर्थन दिया तो नंदकिशोर पुंडीर की बल्ले बल्ले हो सकती है। लेकिन अगर मुस्लिम बसपा के पाले में नहीं गया तो मतलब साफ़ है वो इंडिया गठबंधन की उम्मीदवार डॉली शर्मा का समर्थन करेगा। जिले में ब्राह्मणों की आबादी राजपूतों के संख्या के करीब 4.5 लाख से ऊपर है। डॉली शर्मा को अपनी बिरादरी के साथ मुस्लिम और यादव मतदाताओं का साथ मिल गया तो वे भी जीत का सेहरा अपने सिर बांध सकती हैं। कुल मिलाकर दोनों ही स्थिति में बसपा से नन्दकिशोर पुंडीर की उम्मीदवारी के बाद नुकसान आतुयल गर्ग का ही होने की बात कही जा रही है। इसकी खास वजह है कि पुंडीर हर हाल में बीजेपी के राजपूत वोट बैंक में सेंधमारी करेंगे। बीजेपी को राजपूतों का वोट मोदी और योगी के नाम पर ही मिलेगा। इसलिए बसपा के राजपूत दांव से बीजेपी की परेशानी बढ़ गई है

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