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केजरीवाल की असली मुश्किल तो अब तिहाड़ पहुंचकर शुरू होंगी, जाँच में असहयोग को ED बनाएगी जमानत न देने का आधार

विशेष संवाददाता

नई दिल्ली। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की ईडी रिमांड आज खत्म हो गई है. शराब घोटाले में ईडी हिरासत में हुई पूछताछ के बाद अब उन्हें पीएमएलए कोर्ट ने 15 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. जेल जाना खुद में एक बहुत बड़ी कठिनाई होती है पर अरविंद केजरीवाल के लिए अब और बड़ी मुश्किलें सामने आने वाली हैं. ईडी का कहना है कि वो जानबूझकर जांच एजेंसियों को सहयोग नहीं कर रहे हैं. यह गंभीर इशू बन सकता है विशेषकर बेल मिलने में परेशानी हो सकती है. इसके अलावा शराब घोटाले में जिस तरह की तस्वीर बन रही है उससे यही लगता है कि उनके बचे दो खास सहयोगी आतिशी और सौरभ भारद्नाज पर भी जल्द ही शिकंजा कस सकता है. आम आदमी पार्टी में भी अरविंद केजरीवाल की अनुपस्थिति में संकट में पड़ सकती है.

1-जेल से सरकार चलाना होगा मुश्किल

जेल का जीवन सामान्य नहीं होता है. शायद यही कारण है कि अरविंद केजरीवाल ने भी हर संभव प्रयास किया कि उन्हें बेल मिल जाए. हालांकि उनके पास एक ऑप्शन यह भी था कि वे खुद को जनता की हमदर्दी पाने के लिए जेल जाने के पहले ही कह सकते थे कि वो बेल के लिए अप्लाई नहीं करेंगे. कोर्ट से बेल न मिलने से बढ़िया यही होता. क्योंकि इससे उनके प्रति ज्यादा हमदर्दी पैदा होती लोग उन्हें अन्याय के आगे कभी सर न झुकाने वाले के रूप में याद करते. अन्ना आंदोलन के दौरान गिरफ्तारी होने पर एक बार अरविंद केजरीवाल ऐसा कर भी चुके थे. पर इस बार अरविंद केजरीवाल ऐसा नहीं कर सके. और अब यह भी तय हो हो गया है कि वे जल्दी बाहर आने वाले नहीं हैं.

जिस तरह शराब घोटाले में जेल गए उनके पूर्ववर्तियों को बेल नहीं मिल सकी है उसके आधार पर यही कहा जा सकता है कि केजरीवाल को अभी काफी दिनों में जेल में रहना होगा. ईडी हिरासत में रहते हुए उनको बाहर के लोगों से मिलने का थोड़ा-बहुत टाइम मिल भी जाता था पर अब वह भी संभव नहीं होगा. इस तरह यह कहना भी अब मुश्किल होगा कि उन्होंने दिल्ली की जनता के लिए यह आदेश जारी किया है. जेलों में कैदियों के लिए कुछ मैनुअल होता है . उसके अनुसार ही लोगों से मिलना जुलना होता है. विशेषकर तिहाड़ में तो सशरीर मुलाकात भी संभव नहीं होता है. दो मुलाकातियों के बीच शीशे की दिवार होती है. स्पीकर के माध्यम से दो लोगों के बीच बातचीत होती है. जाहिर है कि कॉन्फिडेंशल बात नहीं हो सकेगी.

2-अगला नंबर आतिशी और सौरभ भारद्वाज का भी हो सकता है!

बताया जा रहा है कि ईडी से पूछताछ में अरविंद केजरीवाल ने विजय नायर की रिपोर्टिंग से इनकार किया है. केजरीवाल ने कहा है कि शराब घोटाले का आरोपी विजय नायर आम आदमी पार्टी नेता सौरभ भारद्वाज और आतिशी को रिपोर्ट करता रहा है. ईडी की तरफ से ASG राजू ने कोर्ट को बताया कि केजरीवाल गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं. ईडी ने अदालत को बताया कि केजरीवाल ने पूछताछ में बताया कि विजय नायर आतिशी और सौरभ भारद्वाज को रिपोर्ट करते थे, तो इस दौरान केजरीवाल चुप रहे. यह पहली बार है जब उन्होंने कोर्ट में दो मंत्रियों का नाम लिया.

खास बात ये है कि जब ईडी अदालत को यह बता रही थी तो केजरीवाल ने इसका खंडन तक नहीं किया और चुप्पी साधे रखी. आपको बता दें कि आतिशी गोवा विधानसभा चुनाव के दौरान गोवा की प्रभारी भी रही हैं. अरविंद केजरीवाल इस सवाल का जवाब देने से बचते रहे कि आखिर क्यों नायर ने सीएम कैंप कार्यालय में काम करने वाले लोगों के बारे में जानकारी नहीं होने का दावा किया था जबकि उसने सीएम के कैंप कार्यालय से काम किया था.

3-अब CBI भी मांग सकती है दिल्ली सीएम की हिरासत

कहा जा रहा है कि ईडी की हिरासत खत्म होने के बाद सीबीआई अरविंद केजरीवाल की हिरासत मांग सकती है. अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी का ग्राउंड भी सीबीआई की जांच के आधार पर ही तय हुआ था. सीबीआई ने सबसे पहले आबकारी घोटाले में मनीष सिसोदिया, शराब कंपनियों और उनके मालिकों के खिलाफ केस दर्ज किया था. सीबीआई पहली केंद्रीय एजेंसी है जिसने ये केस दर्ज किया था, जिसकी जांच आगे बढ़ी तब ईडी ने सीबीआई की एफआईआर के आधार पर केस दर्ज किया.

अप्रैल 2023 में केजरीवाल से शराब नीति 2021-22 के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित भ्रष्टाचार की जांच के संबंध में सीबीआई द्वारा नौ घंटे तक पूछताछ की गई थी. पूछताछ के दौरान सीबीआई मामले में गिरफ्तार लोगों द्वारा किए गए कुछ खुलासों और एक गायब फाइल के ठिकाने के बारे में जानकारी चाहती है. इसमें यह भी जानने का इरादा है कि क्या केजरीवाल ने गिरफ्तार शराब कारोबारी समीर महेंद्रू से फेसटाइम पर बात की थी और उन्हें आप के गिरफ्तार संचार प्रभारी विजय नायर के निर्देशों का पालन करने के लिए कहा था. शराब घोटाले के अलावा सीबीआई दिल्ली जल बोर्ड में कथित अनियमितताओं के मामले की भी जांच कर रही है. यही एकमात्र विभाग था जो केजरीवाल के पास थोड़े समय के लिए था.

4- AAP के लिए चुनौती, बिखर सकती है पार्टी…

केजरीवाल अगर जल्दी ही जेल से बाहर नहीं आते हैं तो सबसे बड़ा संकट आम आदमी पार्टी पर पड़ने वाला है. केजरीवाल की अनुपस्थिति के चलते ही आम आदमी पार्टी के एकलौते सांसद ने पार्टी छोड़कर बीजेपी जॉइन कर लिया . यही नहीं अपने साथ एक सिटिंग एमएलए को भी बीजेपी में ले गए. जिस तरह की स्थितियां बन रही हैं उसे देखकर यही लग रहा है पार्टी ताश के महल की भांति भरभराकर गिर सकती है. क्योंकि अरविंद केजरीवाल ने अपने नीचे कोई सशक्त दूसरी लाइन तैयार नहीं होने दी. जिस पर भरोसा था वो लोग मनीष सिसौदिया , संजय सिंह और सत्येंद्र जैन सभी जेल के अंदर हैं. इनमें से किसी के भी अभी बाहर आने की उम्मीद नहीं है.

कद्दावर लोगों को बहुत पहले ही पार्टी छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया गया. अब तो यहां तक कहा जा रहा है कि पार्टी के सांसद और अरविंद केजरीवाल के खासमखास सांसद राघव चड्ढा भी उनसे किनारा कर रहे हैं. ऐसे मौके पर जब पार्टी को सबसे अधिक मजबूत लोगों की जरूरत है कोई नहीं दिख रहा है. राघव चड्ढा लंदन में हैं और स्वाति मालिवाल अमेरिका में हैं. जिस तरह केजरीवाल मंत्रिमंडल के साथी कैलाश गहलोत शुक्रवार को ईडी से हुई पूछताछ के बाद मीडिया से बात कर रहे थे उनकी विश्वसनीयता भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं. कैलाश गहलोत स्वीकार कर रहे हैं कि उनको अलॉट सरकारी कोठी में वो खुद नहीं विजय नायर रह रहा था.

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