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बांदा जेल में बंद बाहुबली मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक से मौत, पूर्वांचल के कई जिलों में हाई अलर्ट

परिजनों ने लगाया हत्या का आरोप , परिजनों की उपस्थिति में डाक्टरों का बोर्ड करने वाला है पोस्टमार्टम

विशेष संवाददाता

बाँदा । बांदा जेल में बंद बाहुबली मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक से मौत हो गई है। मेडिकल कॉलेज बांदा ने उसकी मौत की पुष्टि की है। पूरे यूपी में पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी है। मऊ, गाजीपुर और बांदा जिले में धारा 144 लागू कर दी गई है।

रात साढ़े 12 बजे पोस्टमार्टम के लिए पहुंचा शव

मुख्तार की मौत के दो घंटे बाद यानि साढ़े बारह बजे के आसपास उसके शव को मेडिकल कॉलेज से पोस्टमार्टम हाउस पहुंचाया गया। शव के पोस्टमार्टम पहुंचते ही सारा फोर्स भी वहीं तैनात हो गया। पूरे पोस्टमार्टम हाउस की घेराबंदी कर दी गई। बैरिकेडिंग भी लगा दी गई। रात में पोस्टमार्टम शुरू नहीं किया गया है। माना जा रहा है कि मुख्तार के परिजन के सामने आज यह प्रकिया की जाएगी। मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी ने है कि पोस्टमार्टम सुबह होगा। इसके बाद हम आगे की प्रक्रिया (अंतिम संस्कार) करेंगे। लगभग पांच डॉक्टरों का पैनल बनाया गया है (पोस्टमार्टम करने के लिए)।’

घर से चार सौ मीटर दूर कब्रिस्तान में होगा सुपुर्दे खाक

मुख्तार अंसारी का पार्थिव शव शनिवार की दोपहर में आने की संभावना है। परिजनों के मुताबिक उनके शव को गाजीपुर के पैतृक कब्रिस्तान में दफनाया जाएगा। यह कब्रिस्तान उनके घर से करीब चार सौ मीटर दूर है। इसी कब्रिस्तान में उनके पार्थिव शव को सुपुर्दे खाक किया जाएगा।

‘जिंदा देखने न दिया, कंधा के लिए भेजा बुलावा’

मुख्तार का एक बेटा अब्बास इस वक्त कासगंज जेल में सजा काट रहा है तो दूसरा और छोटा बेटा उमर अब्बास दो दिन पहले ही मेडिकल कॉलेज पिता को देखने आया था। परिवार के करीबियों ने बताया कि जैसे ही उमर को प्रशासन की ओर से उसके पिता की मौत की सूचना दी गई वह धड़ाम से अपनी कुर्सी पर गिर पड़ा। करीबियों के मुताबिक उमर कुछ ही देर में बांदा पहुंच भी जाएगा। उसने भरे गले से कहा कि दो दिन पहले इन पुलिस वालों ने अस्पताल में भर्ती पिता को शीशे से भी देखने नहीं दिया और आज जब वह इस दुनिया में नहीं है तो वही पुलिस प्रशासन उनके जनाजे को कंधा देने के लिए बुलावा भेज रहा है। ऐसे में एक बेटे के दिल पर क्या गुजर रही होगी, इन अधिकारियों को क्या मालूम। बकौल उमर जबसे उम्र संभाली तब से कई साल बिना पिता के बिताए हैं, भरोसा था कि कभी तो पिता का कंधा सिर रखने के लिए मिलेगा, लेकिन क्या पता था कि वह कंधा अब उसे कभी नसीब नहीं होगा।

कुछ तो बीमारी ने और कुछ खौफ ने ले ली जान

कभी जिसके नाम से गुंडे माफिया और बिल्डर्स भी कांपा करते थे, किसी ने नहीं सोचा था कि कभी वह माफिया भी खौफ के साए में जिंदगी बिताएगा। कुछ ऐसा ही हाल था पूरब के डॉन कहे जाने वाले माफिया मुख्तार अंसारी का, जिसकी मौत हुई तो बीमारी की वजह से लेकिन उसके पीछे कानून का खौफ भी शामिल था, जो उसको उसके गुनाह याद कर रहा था। जब से मुख्तार पंजाब से बांदा जेल आया था, शायद ही कोई ऐसा दिन रहा हो, जब उसने यूपी की जेल से दूसरी जेल भेजे जाने की इच्छा न की हो। यही वजह थी कि कब वह ब्लड प्रेशर, शुगर और पेट की बीमारी की गिरफ्त में आ गया, उसे खुद ही नहीं पता चला। इसके अलावा उसे लगातार दो तीन मामलों में आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है। वहीं, जिस दिन से प्रदेश में अतीक और उसके भाई की हत्या हुई है, तभी से मुख्तार के दिल में कानून और मौत खौफ और पैदा हो गया था। यही वह हालात थे कि जेल में उसका एक-एक दिन एक-एक साल के बराबर बीत रहा था। आखिर में वह घड़ी भी आ गई, जब खौफ ही उसकी मौत बन गई और उसकी धड़कनों ने साथ छोड़ दिया।

भाई और बेटे ने दो दिन पहले जताई थी आशंका

दो दिन पहले जब मुख्तार की हालत बिगड़ने पर उसे जेल से मेडिकल कॉलेज लाया गया था, तभी उसे भाई अफजाल और बेटे उमर अब्बास ने पिता की मौत की आशंका जताई थी। जेल प्रसासन पर गंभीर आरोप लगाए था। अफजाल ने तो यह तक कहा था कि उसके भाई की हत्या का सातवीं बार प्रयास किया गया है। इस बार भी 19 मार्च को उन्हें खाने में जहर दिया गया था। वहीं बेटे उमर ने भी प्रशासन पर आरोप मढ़ते हुए कहा था कि उसे पिता से मिलना तो दूर शीशे से देखने तक नहीं दिया गया था।

जेल में जांच के दौरान ही पड़ा था अटैक

जेल सूत्रों के मुताबिक गुरुवार दोपहर से मुख्तार की तबीयत बिगड़ने लगी थी। सूचना मिलते ही जिला अस्पताल के तीन डॉक्टरों की टीम ने मौके पर पहुंच कर उसकी सेहत की जांच की थी। गुरुवार को मुख्तार ने सिर्फ थोड़ी सी खिचड़ी ही खाई थी।

मौत के वक्त कोई नहीं था मददगार

करीब ढाई साल से बांदा जेल में बंद पूरब के माफिया मुख्तार अंसारी के भले ही बांदा जनपद में मुख्तार के तमाम समर्थक थे, लेकिन जबसे उसके समर्थकों के घरों पर जेसीबी गरजी थी, तभी से सभी ने उससे दूरी बना रखी थी। जनपद से गिने चुने लोग भी जेल में उससे मिलने नहीं जाते थे।

शायद यही वजह थी कि जब वह अपनी जिंदगी के अंतिम क्षण जी रहा था, उस वक्त भी जेल तो दूर की बात है उसका कोई अपना मेडिकल कॉलेज के आसपास भी नहीं दिखाई दिया। मुख्तार के कुछ समर्थक उसके परिजनों के संपर्क में जरूर रहे और उन्हें प्रशासन से बचकर मेडिकल कॉलेज से बाहर के हालातों की खबर देते रहे। देर रात 11 बजे तक उसके समर्थकों में से कोई भी मेडिकल कॉलेज के आसपास नहीं दिखाई दिया। बता दें कि अतीक हत्याकांड के बाद जनपद में मुख्तार के करीबी दो लोगों के मकानों पर भी प्रशासन ने जेसीबी चलाई थी।

गैंगस्टर मुख्तार अंसारी की मौत पर कानपुर में भी अलर्ट

गाजीपुर के माफिया मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक से मौत के बाद कानपुर में भी अलर्ट जारी किया गया है। शहर के मुस्लिम बहुल और मिश्रित आबादी वाले इलाकों में पुलिस और पैरामिलिट्री की गश्त बढ़ा दी गई है। पुलिस अफसर और खुफिया लगातार संवेदनशील और अतिसंवेदनशील क्षेत्रों की गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं। पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार ने बताया कि शहर के संवेदनशील, अति संवेदनशील क्षेत्रों में नजर रखी जा रही है।

‘इलाज के नाम पर प्रशासन ने ड्रामा किया’

मुख्तार के बेटे उमर अंसारी ने कहा कि गुरुवार दोपहर तीन बजे पिता ने फोन पर कहा था कि दो कदम भी नहीं चल पा रहा हूं। मेरी मौत हो जाएगी। जो हक्कीकत है वह पूरा देश देख रहा है। आज इलाज के नाम पर प्रशासन ने ड्रामा ही किया है। दो दिन पहले भी इलाज के नाम पर खानापूर्ति कर पिता को जेल की तन्हाई में डाल दिया गया था। जहर देने का आरोप हमारी ओर से नहीं बल्कि पिता की ओर से ही लगाया गया था, जो अब इस दुनिया में नहीं रहे। मुझे प्रशाशन पर नहीं न्याय पालिका पर पूरा भरोसा है।

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