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गाजियाबाद सीट पर नए चेहरे पर दांव के बाद उठ रहे कई सवाल

संवाददाता

गाजियाबाद NCR क्षेत्र का हिस्सा है गाजियाबाद, करीब 34 लाख आबादी वाले गाजियाबाद में अब तक चुनावों में प्रतिद्वंदियों के बीच कांटे का मुकाबला देखा गया है. संसद में गाजियाबाद लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं जनरल वी.के. सिंह. जिन्होंने इस सीट से दो बार लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की. पहली साल 2014 और दूसरी 2019 में. बावजूद इसके इस सीट पर बीजेपी ने इस बार भरोसा जताया है शहर विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री रहे अतुल गर्ग पर. वहीं कांग्रेस की ओर से डॉली शर्मा को उम्मीदवार बनाया गया है.

लिस्ट आने से पहले काफी प्रयास लगाया जा रहे थे कि बीजेपी वीके सिंह को तीसरी बार भी टिकट दे सकती है. हालांकि टिकट की घोषणा से पहले ही वीके सिंह ने 2024 लोकसभा चुनाव ना लड़ने की घोषणा कर दी.

2014 और 2019 में जीते जनरल वी.के.सिंह

2014 में हुए लोकसभा चुनाव में गाजियाबाद लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी रिटायर्ड जनरल वी.के.सिंह ने 5,67,260 वोटो से चुनाव जीता था. हालांकि 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने वी.के.सिंह पर फिर भरोसा जताया और चुनावी मैदान में उतारा हालांकि इस बार पहले की तुलना में जीत का मार्जिन थोड़ा बहुत घटा था लेकिन फिर भी 5 लाख से अधिक वोटो से वीके सिंह ने जीत दर्ज की थी.

गाजियाबाद लोकसभा सीट का इतिहास

1991 से साल 2019 के बीच आठ बार लोकसभा चुनाव हुए जिनमें से बीजेपी ने 2004 के लोकसभा चुनाव को छोड़कर सभी चुनाव में गाजियाबाद लोकसभा सीट पर अपना परचम लहराया. हालांकि, वीके सिंह अब तक गाजियाबाद से सबसे अधिक मार्जिन से जीतने वाले प्रत्याशी हैं. फिर क्यों तीसरी बार उन्हें पार्टी से टिकट नहीं मिला.

सवाल नंबर 1: गाजियाबाद लोकसभा सीट से क्यों नहीं मिला वीके सिंह को टिकट ?

बीेजपी की ओर से जारी की गई प्रत्याशियों की शुरुआती दो लिस्ट में गाजियाबाद लोकसभा सीट के लिए प्रत्याशी की घोषणा नहीं की गई थी. ऐसे में कयास लगाये जा रहे थे कि बीजेपी गाजियाबाद लोकसभा सीट से प्रत्याशी बदल सकती है. वहीं, विपक्षी पार्टियां लगातार गाजियाबाद लोकसभा सीट पर भाजपा द्वारा बाहरी प्रत्याशी उतारने का आरोप लगाती आई हैं. देखा गया है कि 2004, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी पार्टियों द्वारा चुनाव प्रचार के दौरान बाहरी प्रत्याशी को मुद्दा बनाया जा चुका है. ऐसे में इस बार BJP ने अतुल गर्ग को गाजियाबाद लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है.

सवाल नंबर 2: गाजियाबाद लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी अतुल गर्ग का क्यों हो रहा विरोध ?

अखिल भारतीय क्षत्रिय सभा, महाराणा प्रताप स्मृति निर्माण समिति गाजियाबाद के अध्यक्ष वरुण सिंह पुंडीर के मुताबिक क्षत्रिय समाज बीजेपी की रीढ़ की हड्डी की तरह बना हुआ है लोकसभा चुनाव 2024 के लिए जिस तरह एक इमानदार सांसद जनरल वी. के सिंह को टिकट नहीं दिया गया हमारे किसी भी क्षत्रिय समाज के व्यक्ति को क्षत्रिय बाहुल्य सीट पर टिकेट न देकर पार्टी ने समाज को आक्रोशित और आंदोलित किया है. समाज निराशा में है और अपना विरोध पार्टी को जताता है. 2024 में जो लोकसभा चुनाव के लिए गाजियाबाद में जो टिकट दिया है उसको बदला जाए और कैंडिडेट बदला जाए. दूसरा एक क्षत्रिय समाज के उपयुक्त उम्मीदवार को लोकसभा गाजियाबाद 2024 का उमीदवार भारतीय जनता पार्टी घोषित करे.

सवाल नंबर 3 : वी. के. सिंह का टिकट कटने का क्या पड़ेगा फर्क ?

वी.के. सिंह 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव 5 लाख से अधिक मार्जिन से जीते. हालांकि अब क्षत्रिय समाज मौजूदा प्रत्याशी को लेकर BJP के समक्ष अपना विरोध दर्ज कर रहा है. गाजियाबाद को BJP का गढ़ माना जाता रहा है. हालांकि एक्सपर्ट्स का कहना है कि क्षत्रिय समाज की नाराजगी से जीत के मार्जिन में अंतर पड़ सकता है लेकिन पिछले चुनाव के आंकड़े देखकर ही साफ जाहिर होता है कि गाजियाबाद लोकसभा सीट पर भाजपा की स्थिति मजबूत है.

सवाल नंबर 4: क्या वी.के. सिंह को पता था कि इस बार किसी और को मिल सकता है टिकट ?

24 मार्च 2024 को वीके सिंह ने बताया था कि वो 2024 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे. हालांकि कुछ देर बाद बीजेपी ने प्रत्याशियों की तीसरी लिस्ट जारी कर दी. हालांकि इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि वी.के. सिंह को अंदाजा हो गया था कि इस बार गाजियाबाद से किसी और को टिकट मिल सकता है.

सवाल नंबर 5 : विधायकों और सांसद के बीच खींचतान रही टिकट कटने की वजह ?

राजनीतिक जानकारों का मानना है की गाजियाबाद के सांसद वी.के.सिंह और गाजियाबाद लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली पांचों विधानसभाओं के विधायकों के बीच खींचतान रही. दोनों तरफ से एक दूसरे पर कई बार आरोप-प्रत्यारोप लगाए जाते रहे. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले साहिबाबाद विधानसभा से विधायक सुनील शर्मा को उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि संगठन विधायकों के साथ खड़ा नजर आया.

सवाल नंबर 6: टिकट कटने के पीछे एंटी इनकंबेंसी बनी वजह ?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि वी.के. सिंह का टिकट कटने के पीछे एंटी इनकंबेंसी भी बताई जाती है. पार्टी के इंटरनल सर्वे में वी.के. सिंह को लेकर पॉजिटिव रिस्पॉन्स नहीं मिला. ऐसे में पार्टी ने गाजियाबाद लोकसभा सीट पर प्रत्याशी को बदलने पर विचार किया होगा. जानकारों का कहना है की प्रत्याशी की घोषणा होने से पहले ही वी.के.सिंह को टिकट ना मिलने के संकेत मिल गए थे. ऐसे में उन्होंने लिस्ट आने से पहले ही चुनाव ना लड़ने का ऐलान कर दिया.

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