संवाददाता
नई दिल्ली। भारत को बड़ी कूटनीतिक जीत मिली है, जिसकी चर्चा दुनियाभर में हो रही है। कतर में मौत की सजा पाए आठ भारतीय नौसेना के पूर्व नौसैनिकों को रिहा कर दिया गया है। जिसमें से सात लोग भारत लौट आए हैं। इन सभी भारतीय नौसेना के पूर्व नौसैनिकों को जासूसी के आरोपों में कतर की कोर्ट द्वारा मौत की सजा सुनाई गई थी। विदेश मंत्रालय (एमईए) ने सोमवार (12 फरवरी) को एक बयान में कहा कि आठ भारतीय नागरिकों में से सात पहले ही भारत लौट चुके हैं।
भारत के अनुरोध पर उनकी सजा को कतर के अमीर ने पहले ही कम कर दिया था और उम्रकैद में बदल दिया था। लेकिन अब सब रिहा हो गए हैं। भारत लौटे सभी सात पूर्व नौसैनिकों ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दिल से आभार जताया है।
जिन 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों को कतर की जेल से रिहा किया गया है, उनके नाम हैं, कैप्टन नवतेज गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, अमित नागपाल, एसके गुप्ता, बीके वर्मा, सुगुनाकर पकाला और नाविक रागेश।
इन सभी 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों को अगस्त 2022 में अघोषित आरोपों पर हिरासत में लिया गया था। जिसके बाद अक्टूबर 2023 में इन्हें जासूसी करने के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी।
भारत की सरकार के अनुरोध के बाद पिछले साल 28 दिसंबर को कतर की अपील अदालत ने मौत की सजा को कम कर दिया था। जिसके बाद दोहा स्थित अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज के साथ काम करने वाले आठ लोगों को तीन साल से लेकर 25 साल तक की अलग-अलग अवधि के लिए जेल की सजा सुनाई गई थी।
सूत्रों के मुताबिक पूर्णेंदु तिवारी को 25 साल की जेल की सजा दी गई थी, जबकि रागेश को तीन साल की सजा दी गई थी। उन्होंने कहा कि नौसेना के चार पूर्व अधिकारियों को 15 साल की जेल की सजा दी गई और दो अन्य को 10 साल की जेल की सजा दी गई थी। समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि दोहा स्थित अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज, एक निजी फर्म, कतर के सशस्त्र बलों और सुरक्षा एजेंसियों को प्रशिक्षण और अन्य सेवाएं प्रदान करती है।
इन आठ दिग्गजों में से, कैप्टन नवतेज गिल को उत्कृष्टता के लिए राष्ट्रपति के स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया था। कैप्टन नवतेज गिल को ये सम्मान तब मिला था, जब उन्होंने नौसेना अकादमी से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और बाद में तमिलनाडु के वेलिंगटन में डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज में प्रशिक्षक के रूप में कार्य किया था।