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जयंत चाैधरी की बीजेपी से डील लगभग फाइनल, लाेकसभा की सीटें, केन्द्र में मंत्री ये है तगड़ा ऑफर

संवाददाता

नई दिल्ली। राष्ट्रीय लोकदल (RLD) नेता जयंत चौधरी के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में जाने की डील लगभग फाइनल हो चुकी है। जयंत चौधरी की पार्टी वर्तमान में ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) का हिस्सा है। गठबंधन के तहत जयंत चौधरी की सीट-बंटवारे को लेकर समाजवादी पार्टी (एसपी) के साथ अभी तक सहमति नहीं बन पाई है। इस बीच उनके एनडीए में जाने की चर्चा होने लगी। अब ये डील फाइनल होती दिख रही है।

रिपोर्टों की मानें तो भाजपा ने जयंत चौधरी को अपने पाले में लाने के लिए तगड़ा ऑफर दिया है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक भाजपा रालोद को चार लोकसभा सीटों की पेशकश कर रही है। इसके अलावा, एक केंद्रीय मंत्रालय और दो राज्य मंत्रालयों का भी ऑफर दिया जा रहा है। अब अगर रालोद भी भाजपा नीत गठबंधन में जाती है तो यह विपक्षी इंडिया गठबंधन के लिए बड़ा झटका होगा। खासतौर से उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में जहां, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (एसपी) भी सीट-बंटवारे पर मतभेदों को सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं।
जयंत को क्या-क्या ऑफर कर रही भाजपा

रिपोर्ट के मुताबिक, रालोद के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ”हमारे और भाजपा के बीच चीजें लगभग तय हो गई हैं। शायद एक या दो दिन में औपचारिक घोषणा हो सकती है।” रालोद के एक नेता ने सीट-बंटवारे को लेकर भी बताया। उन्होंने कहा कि भाजपा ने रालोद को 4 लोकसभा सीटें ऑफर की हैं। इसके अलावा, एक केंद्रीय मंत्री और दो राज्य मंत्री के पद की पेशकश की है। नेता ने कहा कि कुछ सीटों पर दिक्कतें आ रही हैं। उन पर अभी बातचीत चल रही है। उन्होंने कहा, वे हमें जो सीटें देने से इनकार कर रहे हैं उनमें से एक सीट मुजफ्फरनगर है। उस पर भी काम किया जाएगा।”

गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान 2014 से मुजफ्फरनगर सीट से लोकसभा सांसद हैं।\nजयंत चौधरी के राजग के साथ जाने की अटकलों के बीच समाजवादी पार्टी (सपा) के महासचिव शिवपाल सिंह यादव ने इसे भाजपा की ओर से फैलाया गया भ्रम करार दिया था। उन्होंने कहा कि चौधरी INDIA गठबंधन का हिस्सा बने रहेंगे। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भी यही बात कही थी। अखिलेश यादव ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि जयंत चौधरी उत्तर प्रदेश की ‘खुशहाली’ के लिए चल रहे संघर्ष को कमजोर नहीं करेंगे। लेकिन अब खुद भाजपा सूत्र भी जयंत के साथ बातचीत की पुष्टि कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ”हमारी पार्टी जयंत चौधरी को बागपत, मथुरा, हाथरस और अमरोहा की पेशकश कर रही है। पार्टी नेतृत्व ने उन्हें मुजफ्फरनगर और कैराना देने से इनकार कर दिया है। हम बिजनौर और सहारनपुर की भी पेशकश कर रहे हैं।”

इन सीटों पर चल रही चर्चा

अगर आरएलडी INDIA गठबंधन छोड़ती है, तो यह यूपी में पहले से संकटग्रस्त गठबंधन को और कमजोर कर देगा। पिछले महीने, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने घोषणा की थी कि रालोद को सीट-बंटवारे की व्यवस्था के तहत सात निर्वाचन क्षेत्र आवंटित किए जाएंगे, लेकिन पार्टी को कौन से निर्वाचन क्षेत्र मिलेंगे, इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं थी। सपा के अंदरूनी सूत्रों ने कहा था कि आरएलडी को बागपत, कैराना, मथुरा, हाथरस और फतेहपुर सीकरी मिलेंगी और मुजफ्फरनगर, मेरठ, बिजनौर और अमरोहा पर चर्चा चल रही है। रालोद नेताओं ने कहा कि इस बात को लेकर कुछ मुद्दे थे कि सपा चाहती थी कि उसके नेता इन सात सीटों में से कुछ पर अपने चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ें। इन सीटों में कैराना भी थी, जहां सपा विधायक नाहिद हसन की बहन इकरा हसन को मैदान में उतारना चाहती है। सपा और रालोद ने इसी साल 19 जनवरी को आगामी लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन की घोषणा की थी। गठबंधन के तहत रालोद को सात सीटें दी गयी थी। यादव ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा था, रालोद और सपा के गठबंधन पर सभी को बधाई। आइए हम सभी जीत के लिए एकजुट हों। इस पोस्ट को पुन: पोस्ट करते हुए चौधरी ने कहा था, ‘‘राष्ट्रीय और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए हमेशा तैयार हूं। हम उम्मीद करते हैं कि हमारे गठबंधन के सभी कार्यकर्ता हमारे क्षेत्र के विकास और समृद्धि के लिए मिलकर आगे बढ़ेंगे।’’ उन्होंने दोनों नेताओं की हाथ मिलाते हुए तस्वीरें भी साझा की थीं।

जाट मतदाता रालोद की ताकत, सपा ने भेजा राज्यसभा

गौरतलब है कि जाट मतदाता परम्परागत रूप से रालोद का मुख्य वोट बैंक रहे हैं। जाट बहुल लोकसभा क्षेत्रों में मुजफ्फरनगर, कैराना, बिजनौर, मथुरा, बागपत, अमरोहा और मेरठ शामिल हैं, जिन पर रालोद के चुनाव लड़ने की संभावना है। सपा-रालोद ने वर्ष 2022 का विधानसभा चुनाव भी साथ मिलकर लड़ा था। तब सपा ने 111 सीटें जीती थीं, जबकि रालोद को आठ सीटें मिली थीं। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी रालोद सपा और बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन में शामिल था। उस समय रालोद को गठबंधन के तहत मथुरा, बागपत और मुजफ्फर नगर की सीटें मिली थीं, लेकिन तीनों पर ही उसे पराजय का सामना करना पड़ा था। ऐसे में रालोद के पास चौधरी को राज्यसभा भेजने के लिए पर्याप्त संख्या बल नहीं था, लेकिन सपा ने उन्हें उच्च सदन में भेजने में उनकी मदद की थी।

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