
करोड़ो की लागत से बनी शूटिंग रेंज लीज पर देने में जीडीए ने किसके इशारे पर किया खेल?
संवाददाता
गाजियाबाद। ऐसा लगता है है जीडीए ने अपनी अधीन सरकारी संपत्तियों को निजी संपत्ति मान लिया है इसीलिए इन संपत्तियों की बंदरबांट करने में कासदे कायदे कानूनों को ताक पर रखकर अपने लोगों को उपकृत किया जा रहा है।
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने विगत पांच साल पहले कवि नगर में रामलीला मैदान के पास सेक्टर-18, बी ब्लॉक में अर्न्तराष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं से युक्त 16 लेन की एक वातानुकूलित शूटिंग रेंज का निर्माण करवाया था। निर्माण के इंडोर शूटिंग रेंज को राइफल शूटिंग खेल को बढावा देने व इसमें रूचि रखने वालों को प्रशिक्षण हेतू गाजियाबाद शूटिंग क्लब को पांच साल की लीज पर दिया था, जिसकी लीज दिसंबर 2023 को खत्म हो गई।
लेकिन अफसोस की बात हैं कि केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा खेलों व खिलाडियों को बढावा देने की अनेकों योजनाओं के बावजूद गाजियाबाद शूटिंग क्लब को लीज पर लेने वाले एक भी ऐसी प्रतिभा को तैयार नहीं कर सके जिससे गाजियाबाद का नाम राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर पहचाना गया हो। जिस संस्था को ये शूटिंग रेंज लीज पर दी गई उसने पिछले पांच सालों में न तो कोई राष्ट्रीय स्तर की शूटिंग प्रतियोगिता का आयोजन कराया न ही कोई प्रतिभावान शूटर तैयार कर सकी। जिससे लीज पर देने वाली कंपनी पर सवाल खड़े होंने लगे। इस बाबत जीडीए में कई शिकायतें भी हुई।
इसीलिए कवि नगर में रहने वाले राष्ट्रीय व अर्न्तराष्ट्रीय पदक विजेता और भारतीय शूटिंग टीम के सदस्य नेशनल राइफल एसोसिएशन के आजीवन सदस्य मिलन चौधरी ने गाजियाबाद शूटिंग रेंज को लीज पर लेने के लिए आवेदन किया। जीडीए वीसी को दो महीना पहले किए आवेदन में उन्होंने अपने हुनर व शूटिंग रेंज को लेने के उद्देश्श् के बारे में अवगत कराया था। लेकिन हैरानी की बात है कि जीडीए वीसी राकेश कुमार सिंह के कार्यालय से इस पत्र का जवाब तक नहीं दिया गया। न ही उन्हें ये कारण बताया गया कि शूटिंग रेंज की लीज उन्हें क्यों नहीं मिल सकती।
हैरानी की बात ये है कि जिन लोगों को शूटिंग रेंज की लीज पहले दी गई थी उन्हीं को इसे फिर से लीज पर दे दिया गया। हैरानी तो इस बात की है कि शूटिंग रेज को लीज पर लेने वाले गाजियाबाद के निवासी भी नहीं है।
जीडीए वीसी के इस फैंसले के बाद अब गाजियाबाद में शूटिंग से जुड़े खिलाडी सवाल उठा रहे हैं कि क्या जिन बाहरी लोगों को शूटिंग रेंज दोबारा लीज पर दी गई वे इतने प्रभावशाली है कि जीडीए वीसी को उन्हें उपकृत करना पड़ा। सवाल ये भी उठ रहा है कि कहीं ऐसा तो नहीं जीढीए वीसी ने अपने निजी संबधों को उपकृत करने के लिए इस लीज को पहले वाले लोगों को देने का फैंसला किया हो।
बहरहाल कारण जो भी हो लेकिन किसी सरकारी संपत्ति को लीज पर दिया जाता है तो उससे जुड़ी नियमावली का सार्वजनिक किया जाता है और लोगों से लीज पर लेने के लिए समचार पत्रों के माध्यम से आवेदन मांगे जाते हैं। लेकिन इस मामले में न तो नियमावली सार्वजनिक की गई न ही कोई विज्ञापन देकर आवेदन मांगे गए। जाहिर है इससे जीडीए वीसी की नियत पर सवाल तो खड़े होंगे ही। कितनी हैरत की बात है कि एक तरफ सरकार खेलो इंडिया अभियान के तहत देश में खिलाडी तैयार करने की कवायद में जुटी है दूसरी तरफ गाजियाबाद में करोड़ो की लागत से तैयार शूटिंग रेंज खिलाडी तैयार करने की जगह किराए लेकर इवेंट कराने का अड्डा बन गई है।



