नई दिल्ली । बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने उत्तराधिकारी के तौर पर भतीजे आकाश आनंद का नाम घोषित कर दिया। अब सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की सबसे हो रही है कि आकाश आनंद लोकसभा का चुनाव भी लड़ेंगे। बहुजन समाज पार्टी के नेताओं ने बंद बैठक में आकाश आनंद को लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए अपील भी की है। पार्टी में इसे लेकर अभी दो अलग-अलग मत हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि बसपा के इस वक्त जो सियासी हालात हैं, उसमें अगर आकाश आनंद चुनाव लड़ते हैं, तो वह पार्टी के लिए मुफीद हो सकता है। अगर ऐसा होता है तो आकाश आनंद को पूर्वांचल और पश्चिम उत्तर प्रदेश में बसपा की पारंपरिक सीट से चुनाव लड़वाया जा सकता है। वहीं पार्टी के कुछ नेताओं का मानना है कि भी संगठनात्मक स्तर पर पार्टी को बहुत मजबूत करने की जरूरत है। इसलिए चुनाव से आकाश आनंद को दूर रखा जाए।
मायावती ने आकाश आनंद को उत्तराधिकारी घोषित कर बहुजन समाज पार्टी की सियासत में नई जान फूंकने का बड़ा दांव खेल दिया है। दरअसल बसपा 2012 के बाद लगातार सियासी रूप से कमजोर होती जा रही है। 2014 के विधानसभा चुनावों में पार्टी के लोकसभा में एक भी सांसद नहीं थे। उसके बाद 2019 में जब समाजवादी पार्टी के साथ बसपा का एक बार बड़ा सियासी गठबंधन हुआ, तो अनुमान लगाया जाने लगा कि बसपा को ऑक्सीजन मिलेगी। राजनीतिक विश्लेषक और जटाशंकर सिंह कहते हैं कि ऐसे वक्त में 17 जनवरी 2019 को मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को पूरी तरीके से सियासत में शामिल करने का एलान किया था। मायावती ने आकाश आनंद को बसपा आंदोलन से जोड़ने की घोषणा की थी और लोकसभा चुनाव का स्टार प्रचारक घोषित किया था। जटाशंकर सिंह कहते हैं कि तय उसी वक्त हो गया था कि बसपा में देर सवेर आकाश आनंद मायावती की जगह लेंगे। अब कयास लगाए जा रहे हैं कि उत्तराधिकारी बनाने के बाद क्या आकाश आनंद को लोकसभा का चुनाव भी लड़ाया जाएगा।
सियासी जानकारों का कहना है कि बसपा की प्रमुख कमजोरियों में एक बड़ी वजह मायावती का खुद सक्रिय रूप से चुनाव लड़ने से दूर होना भी है। ऐसे में अगर उत्तराधिकारी घोषित होने के बाद आकाश आनंद सियासी मैदान में उतरते हैं, तो यह पार्टी के लिए बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला हो सकता है। सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की भी हो रही है कि जब मायावती को काशीराम ने 15 दिसंबर 2001 को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था, तब वह अकबरपुर से सांसद थीं। उसके बाद 18 सितंबर 2003 को जब वह राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर चुनी गईं, तो तत्काल बाद वह फिर से अकबरपुर से चुनाव लड़ीं और जीतीं। ऐसे में कयास यह लगाए जा रहे हैं कि पार्टी में आकाश आनंद को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने के साथ आने वाले लोकसभा के चुनाव में भी उतारा जाना चाहिए।
सूत्रों के मुताबिक आकाश आनंद के उत्तराधिकारी घोषित होने के बाद और पहले से ही कुछ नेताओं की ओर से उन्हें लोकसभा चुनाव लड़ाए जाने की भी आपस में चर्चा हुई। हालांकि इस पर सहमति तो नहीं बनी। लेकिन कुछ नेताओं का मानना था कि उन्हें बहुजन समाज पार्टी की पारंपरिक सीट से आने वाले लोकसभा चुनाव में मैदान में उतरना चाहिए। ताकि इससे पार्टी के कार्यकर्ताओं का न सिर्फ मनोबल बढ़ेगा, बल्कि मायावती के सियासी मैदान से चुनाव लड़ने से पूरी तरह दूर होने के बाद एक बड़ा गैप भी भरेगा। हालांकि ऐसी किसी भी जानकारी पर न तो पार्टी के कोई पदाधिकारी और न ही अन्य किसी नेता ने मुंह खोला है। लेकिन पार्टी के नेताओं में चर्चा इस बात की जरूर हुई कि 2024 के लोकसभा चुनाव में आकाश आनंद को मायावती की पारंपरिक सीट अकबरपुर से चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बिजनौर सीट भी सबसे सुरक्षित सीट है, जहां पर मायावती पहली बार लोकसभा का चुनाव जीतीं थीं। इस सीट से भी आकाश आनंद को चुनाव लड़ाया जा सकता है। दोनों सीटों पर वर्तमान समय में भी बसपा के ही सांसद हैं।
दरअसल आकाश आनंद को पार्टी का उत्तराधिकारी घोषित किए जाने के पीछे मायावती की एक और बड़ी रणनीति मानी जा रही है। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक ओम त्यागी कहते हैं कि मायावती ने सियासत में गिरते हुए पार्टी के ग्राफ को रोकने की कई कोशिशें कीं। लेकिन कहीं पर भी उन्हें बड़ी सफलता नहीं मिली। त्यागी कहते हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव में मायावती को सीटें तो 10 मिल गई थीं, लेकिन वोट प्रतिशत में सुधार नहीं हुआ। उसके बाद लगातार होने वाले अलग-अलग राज्यों के विधानसभा चुनाव में तो पार्टी अपने सबसे बदहाल दौर में पहुंच गई। कभी उत्तर प्रदेश में सत्ता के सिंहासन पर बैठने वाली मायावती पिछले विधानसभा चुनाव में महज एक विधायक के साथ सबसे बुरे दौर में आ गईं। हाल में हुए विधानसभा के अलग-अलग राज्यों के चुनाव में भी पार्टी का वोट प्रतिशत पिछले चुनावों की तुलना में अच्छा खासा नीचे आ गया है। अब आकाश आनंद का नाम सामने करके पार्टी में एक नई ऊर्जा लाने की कोशिश की ही गई है।