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राजस्थान चुनाव में पीएम मोदी का ‘मास्टर स्ट्रोक, 7 कद्दावर सांसदों को टिकट देकर उड़ाई कांग्रेस की नींद

सुनील वर्मा

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के देशहित में लिए फैसले हों या फिर की सियासी रणनीति हो, वो हमेशा चौंकाते रहे हैं। यही वजह है कि वो अपने दूरदर्शी विजन से वो कर दिखाते हैं, जिनके बारे में और नेता सोच भी नहीं पाते। राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी की पहली सूची भी कई मायनों में चौंकाने वाली है। इस लिस्ट पर न सिर्फ मोदी-शाह की स्पष्ट छाप है, बल्कि छह मौजूदा सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतारकर पीएम मोदी ने मास्टर स्ट्रोक भी चला है। इस मजबूत सियासी चाल से कांग्रेस की हवाईयां उड़ने लगी हैं। 41 सीटों में से 29 पर नए प्रत्याशी उतारकर उन्होंने क्लियर कर दिया है कि कोई समझौता नहीं होगा। इसके अलावा एक राज्यसभा सांसद और दो पूर्व सांसदों को श्राद्ध पक्ष के दौरान ही टिकट देकर बीजेपी ने राजनीतिक पंडितों के हर दावे को पीछे छोड़ दिया है। एक बात ये भी साफ है कि बीजेपी के राजस्थान में सत्ता पर काबिज हाेंने से प्रदेश अधयक्ष सीपी जाेशी का कद बढेगा।

कद्दावर नेताओं के साथ नयों पर भी भरोसा, हिन्दुत्व का मैसेज भी दिया

राजस्थान में विधानसभा चुनावों की घोषणा के कुछ समय बाद ही बीजेपी ने अपने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी। केंद्र में जब से मोदी की सरकार आई है, तब से भाजपा हर फैसले में चौंका रही है। भाजपा ने पहली सूची में कुछ खास बातों का ध्यान रखा है। इसमें पहला है- अनुभव के साथ-साथ 29 नये चेहरों पर भी भरोसा। पार्टी की इमेज बनाने पर भी खास फोकस है। यही वजह है कि बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा के शिवसेना में जाने के बाद भाजपा ये सीट गुढ़ा के लिए छोड़ सकती है, लेकिन यहां पहले विधायक रह चुके शुभकरण चौधरी को मौका दिया गया है। अगर बीजेपी यहां टिकट छोड़ती तो मैसेज जाता बीजेपी का गुढ़ा से समझौता है। दूसरा, भाजपा ने अपनी पहली सूची में हिन्दुत्व का मैसेज देने का पूरा प्रयास किया है। तिजारा से बाबा बालकनाथ को उतारा है।

गुटबाजी करने वालों के लिए पहला मैसेज- संगठन ही सर्वोपरि है

बीजेपी की 41 विधानसभा सीटों पर नामों की पहली सूची कई मायनों में चौंकाने वाली और कई मैसेज देने वाली है। गुटबाजी करने वालों के लिए पीएम मोदी का पहला मैसेज तो यही है कि संगठन ही सर्वोपरि है। इसके अलावा एक बात और देखने को मिली कि 2018 के चुनाव और उपचुनावों में पार्टी की हार के कारणों को ढूंढकर हल निकाला गया है। संगठन के साथ जुड़े रहने वालों को टिकट देकर साधा है। टिकटों का वितरण पीएम मोदी और शाह ने अपने सर्वे के आधार पर किया गया बताते हैं। इस सूची में एक और बात देखने को मिली। भाजपा के पास कुल 19 सीटें हैं, जहां पर तीन बार से पार्टी हार रही है। इसमें 11 सीटों पर पहली सूची में टिकट दिया गया है। इन पर उन प्रत्याशियों को उतारा गया है, जो इस बार कड़ी टक्कर दे सकते हैं।

सात सांसदों को उतारकर कांग्रेस को बैकफुट पर धकेलने का प्रयास

भाजपा के सर्वे में यहां पार्टी की स्थिति बहुत बेहतर नहीं बताई गई थी। बस भाजपा को अपर हैंड पर होने की बात सामने आई थी, लेकिन पार्टी ने विधानसभा सीटों की अच्छी संख्या लाने के लिए किसी तरह का जोखिम नहीं उठाया है। इस कारण 7 सांसदों के रूप में बड़े चेहरों को उतारकर पार्टी ने कांग्रेस को बैकफुट पर धकेलने का प्रयास किया है। इस सूची से ये भी क्लियर हो गया है कि आने वाली सूचियों में अन्य सांसद भी होंगे। सात में से तीन सांसदों ने कभी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा है। ऐसे में झोटवाड़ा से राज्यवर्धन सिंह राठौड़, तिजारा से बाबा बालकनाथ और सांचौर से देवजी पटेल की परीक्षा होगी। देवजी पटेल का हाल में विवाद सामने आ चुका है। दूसरा, पार्टी ने भागीरथ चौधरी (2003 और 2013 में अजमेर की किशनगढ़ सीट से विधायक रहे), नरेंद्र खींचड़ (2018 में मंडावा सीट से विधायक रहे) को संबंधित सीटों पर मजबूत प्रत्याशी नहीं होने के कारण टिकट दिए हैं।

कांग्रेस से नाराज गुर्जर समाज के वोट बैंक के लिए बैंसला को दिया टिकट

बीजेपी ने कांग्रेस से नाराज चल रहे गुर्जर समाज को भी साधने की कोशिश इस पहली सूची में की है। गुर्जर समाज भाजपा का वोट बैंक माना जाता रहा है। वसुंधरा राजे को भी इस वोट बैंक से काफी मदद मिलती रही है। लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में सचिन पायलट के मैदान में उतरने से ये वोट बैंक कांग्रेस के पाले में स्विंग कर गया और भाजपा को काफी नुकसान हुआ। भाजपा ने अब इस सूची में गुर्जर आरक्षण आंदोलन के अगुवाई कर चुके कर्नल किरोड़ी सिंह बैसला के बेटे विजय बैसला को टिकट देकर चौंका दिया है। इससे गुर्जर समाज की सहानुभूति मिलने की उम्मीद है। वर्तमान में पायलट प्रदेश दौरा नहीं कर रहे हैं। बस वे अपने विधानसभा क्षेत्र टोंक में सक्रिय हैं।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष, मंत्रियों और गहलोत के सलाहकारों को घेरने की रणनीति

जयपुर ग्रामीण से सांसद रहे वर्तमान में राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री लालचंद कटारिया को घेरने के लिए भाजपा ने झोटवाड़ा से जयपुर ग्रामीण के सांसद एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ को उम्मीदवार बनाया है। बसपा से कांग्रेस में आकर 2020 में गहलोत सरकार बचाने वाले राजस्थान राज्य खाद्य निगम एवं भिवाड़ी अरबन इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट बोर्ड के चेयरमैन (विधायक) संदीप यादव के सामने अलवर सांसद बाबा बालकनाथ को उतारा गया है। जालोर सांसद देवजी एम पटेल को मंत्री सुखराम विश्नोई के सामने और किशनगढ़ से विधायक सुरेश टांक के सामने अजमेर के वर्तमान सांसद भागीरथ चाैधरी को टिकट दिया गया है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा को घेरने के लिए सीकर के पूर्व सांसद एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुभाष महरिया को लक्ष्मणगढ़ से टिकट दिया गया है। राज्य के कैबिनेट मंत्री भजनलाल जाटव को घेरने के लिए वैर (भरतपुर) से 2014 से 2019 तक भरतपुर के सांसद रहे बहादुरसिंह कोली को उम्मीदवार बनाया गया है।

औसतन हर 33 दिन में राजस्थान दौरे पर आ रहे हैं पीएम मोदी

बीजेपी थिंक टैंक अब ऐसी रणनीति बना रहा है, जिससे आगामी राज्यों में जीत हासिल करके उसका वर्चस्व बरकरारा रहे। राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे बड़े राज्यों में हर हाल में चुनाव जीतने की कोशिशों में पार्टी निरंतर जुटी है। खासतौर पर राजस्थान में कांग्रेस की सरकार से सत्ता छीनने पर पूरा जोर है। खुद पीएम नरेन्द्र मोदी अपना दमखम दिखाते हुए लगातार जनता-जनार्दन के साथ बीजेपी कार्यकर्ताओं में जीत का जोश फूंक रहे हैं। प्रधानमंत्री बीते करीब एक साल में 11 दौरे मरुधरा के अलग-अलग हिस्सों में कर चुके हैं। इसी महीने के पहले सप्ताह में वे दो अक्टूबर को उन्होंने चित्तौड़गढ़ के श्री सांवलिया सेठ मंदिर में दर्शन के बाद यहां एक विशाल जनसभा को संबोधित किया। इसके तीन दिन बाद पांच अक्टूबर को पीएम मोदी ने सीएम के गृह जिले जोधपुर में कांग्रेस को ललकारा।

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