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नगर निगम में सामने आया कंट्रोल रूम घोटाला, नगर आयुक्त विक्रमादित्य मलिक ने गठित की जांच कमेटी

संवाददाता

गाजियाबाद। कंपनी बाग स्थित कंटृोल रूम का संचालन करने वाली कंपनी मैसर्स इंफोएशिया सिस्टम्स के खिलाफ नगर आयुक्त विक्रमादित्य मलिक ने जांच कमेटी गठित कर दी। कमेटी में चीफ इंजीनियर एनके चौधरी, जीएम जलकल आनंद त्रिपाठी और लेखा परीक्षक विवेक सिंह शामिल किए गए हैं। जांच मेयर सुनीता दयाल द्वारा चार सितंबर 2023 को लिखे गए पत्र के आधार पर बैठाई गई है। अगर जांच में आरोप सिद्ध हुए तो नगर निगम के भी कई अधिकारी इस मामले में फंस सकते हैं।

पत्र में कंपनी पर निगम को आर्थिक नुकसान पहुंचाने और शर्त के हिसाब से कार्य नहीं करने का आरोप लगा है। चर्चा है कि कंपनी से भाजपा नेता का निकट संबंधी भी है। मेयर ने पत्र में बिंदुवार जांच करने के निर्देश दिए। बिंदु नंबर एक के अनुसार निगम ने कॉल सेंटर को विंडो सिस्टम की तर्ज पर इंटीग्रेट करने को फर्म से निविदा मांगी गई थी। मेयर के पत्र के अनुसार निविदा में इंफोएशिया सिस्टम्स, एडूटैक्मिडिया सर्विसेज, और आरस्क्वायर नेटवर्क ने हिसा लिया। सभी फर्म निविदा की शर्त का पालन नहीं कर रही थी। इंफोएशिया सिस्टम्स को कार्य करने का अनुभव नहीं था। फिर भी कंपनी से निगम ने 8 जुलाई 2022 को अनुबंध निष्पादित कर कार्यादेश जारी कर दिया, जो निविदा शर्त का उल्लंघन है। बिंदु-2 के अनुसार निगम को 100 मोबाइल एप्लीकेशन निशुल्क प्रदान करने थे। 100 से अतिरिक्त 550 रूपये प्रति महीने भुगतान फर्म द्वारा निगम को करना था। मगर कंपनी पर आरोप है यह भुगतान निगम से ले रही है। इससे नगर निगम को प्रति महीने छह लाख 60 हजार का नुकसान हो रहा है। अनुबंध की शर्त संख्या सात के अनुसार कॉल सेंटर में कार्य करने वाले कर्मचारियों की आपूर्ति फर्म द्वारा स्वयं करनी थी। कर्मचारियों का भुगतान भी फर्म को ही करना था। फर्म ने ऐसा नहीं कर 10 आउट सोर्स कर्मचारी रखे और उनका भुगतान निगम को करना पड़ रहा है।

मेयर सुनीता दयाल द्वारा लिखे गए पत्र के अनुसार रजनी नामक महिला द्वारा अहमदाबाद से ही सिटीजन ग्रिवेंस मैनेजमेंट सिस्टम्स का कार्य निगम के लिए किया जा रहा है। भौतिक आधार पर उनके द्वारा कॉल सेंटर पर उपस्थिति दर्ज नहीं की जाती है। पत्र में मेयर का दावा है कि पता चला कि फर्म का कोई भी कार्य न तो अहमदाबाद से है और न ही रजनी से फर्म का संबंध है। आरोप है कि फर्म ने निगम से आर्थिक लाभ लेने के लिए कई मोबाइल एप्लीकेशन आईडी जनरेट की। 285 नाम मोबाइल नंबर दर्शाए गए। जिनमें कई अधिकारी एवं कर्मचारी सेवानिवृत हो चुके है उनके नाम भी शामिल है। वहीं नगर आयुक्तइ विक्रमादित्य मलिक ने जांच टीम को गहनता से जांच पूरी कर रिपोर्ट देने को कहा है।

इंफोएशिया प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर ज्ञानेन्द्र चतुर्वेदी का कहना है कि किस प्रकरण को लेकर जांच बैठाई गई है इसकी जानकारी नहीं है। मगर जो कार्य दिया गया है कंटृोल रूम में मोबाइल एप्लीकेशन का है। कर्मचारियों की उपलब्धता से फर्म का कोई मतलब नहीं है।

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