
नई दिल्ली। चंद्रयान- 2 की सफलता के बाद अब इसरो एक और बड़े मिशन में जुट गया है. भारत अब अक्टूबर के अंत में या नवंबर की शुरुआत में अपने उन्नत कार्टोग्राफी उपग्रह कार्टोसैट-3 का प्रक्षेपण करेगा. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चेयरमैन के. सिवन ने खुद यह ऐलान किया है. सिवन ने कहा, ‘अगला प्रक्षेपण कार्टोग्राफी उपग्रह कार्टोसैट-3 का होगा. यह प्रक्षेपण इस साल अक्टूबर के अंत में या नवंबर की शुरुआत में होगा.’
पृथ्वी का निरीक्षण करने वाला या रिमोट सेंसिंग उपग्रह कार्टोसैट-3 एक उन्नत संस्करण है जो कार्टोसैट-2 सीरीज के उपग्रहों की तुलना में बेहतर आकाशीय और वर्णक्रमीय गुणों से लैस है. कार्टोसैट-3 में बेहतर तस्वीरों के साथ रणनीतिक एप्लीकेशंस भी होंगे. कार्टोसैट-3 को पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी) रॉकेट से प्रक्षेपित किया जाएगा. इस सैटेलाइट का मुख्य मकसद तो अंतरिक्ष से भारत की जमीन पर नजर रखना, आपदाओं में और ढांचागत विकास के लिए मदद करना होगा. लेकिन इसका उपयोग देश की सीमाओं की निगरानी के लिए भी होगा. पाकिस्तान और उसके आतंकी कैंपों पर नजर रखने के लिए यह मिशन देश की सबसे ताकतवर आंख होगी. दुश्मन या आतंकियों ने हिमाकत की तो इस आंख की मदद से हमारी सेना उन्हें उनके घर में घुस कर मारेगी.
इस सैटेलाइट का नाम है – Cartosat-3 (कार्टोसैट-3). यह कार्टोसैट सीरीज का नौवां सैटेलाइट होगा. कार्टोसैट-3 का कैमरा इतना ताकतवर है कि वह अंतरिक्ष से जमीन पर 1 फीट से भी कम (9.84 इंच) की ऊंचाई तक की तस्वीर ले सकेगा. इस सैटेलाइट की नजर इतनी पैनी होगी कि आप की कलाई पर बंधी घड़ी पर दिख रहे सही समय की भी सटीक जानकारी देगा. बता दें कि पाकिस्तान पर हुए सर्जिकल और एयर स्ट्राइक पर कार्टोसैट उपग्रहों की मदद ली गई थी. इसके अलावा विभिन्न प्रकार के मौसम में पृथ्वी की तस्वीरें लेने में सक्षम. प्राकृतिक आपदाओं में मदद करेगा.
कार्टोसैट-3 का कैमरा इतना ताकतवर है कि वह अंतरिक्ष से जमीन पर 0.25 मीटर यानी 9.84 इंच की ऊंचाई तक की स्पष्ट तस्वीरें ले सकता है. संभवतः अभी तक इतनी सटीकता वाला सैटेलाइट कैमरा किसी देश ने लॉन्च नहीं किया है.



